Upp. :*कैंपबेल रोड पर बाइक सवार बदमाशों ने टेंट कारोबारी को सरेरहा सिर में मारी गोली* लखनऊ:ठाकुरगंज इलाके में टेंट कारोबारी छोटू लोधी की शनिवार रात कैंपबेल रोड स्थित शराब ठेके के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई। वह प्रॉपर्टी डीलिंग व ब्याज का भी काम करता था। छोटू अपने भतीजे व भांजे के साथ ठेके पर गया था। बाइक सवार दो बदमाशों ने उसके सिर पर पीछे से गोली मारी और भाग निकले। पुलिस ने ठाकुरगंज व सआदतगंज थाने में छोटू के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की पुष्टि की है। 1-पुलिस के मुताबिक, मोहल्ला कन्हई खेड़ा निवासी टेंट हाउस कारोबारी छोटू लोधी (32) देर शाम अपने भतीजे दिनेश व भांजे मनोज के साथ कैंपबेल रोड स्थित शराब के ठेके पर गया था। वहां बाइक सवार दो बदमाश आ धमके। दिनेश ने पुलिस को बताया कि बाइक की पिछली सीट पर बैठे बदमाश ने छोटू के सिर को पीछे से निशाना बनाकर गोली मार दी। गोली लगते ही छोटू गिर पड़ा और बदमाशों की बाइक तेजरफ्तार से बालागंज चौराहा की तरफ दौड़ गई। मनोज का कहना है कि वह गिलास लेने गया था। 2-फायर की आवाज सुनकर पलटा तो बदमाशों को बाइक से भागते देखा। फायरिंग की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने आसपास के लोगों की मदद से छोटू को ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। 3-टेंट कारोबारी की हत्या की सूचना पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी, अपर पुलिस अधीक्षक नगर पश्चिम विकास चंद्र त्रिपाठी व क्षेत्राधिकारी चौक दुर्गा प्रसाद तिवारी आसपास के थानों की पुलिस को लेकर मौके पर पहुंचे। 4-इलाके में चेकिंग के साथ छानबीन शुरू की गई। छोटू की पत्नी रेनू, आठ वर्षीय बेटा आदर्श व परिवार के अन्य लोग रोते बिलखते ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। पत्नी ने किसी रंजिश से इन्कार करते हुए कहा कि छोटू टेंट के साथ प्रॉपर्टी डीलिंग करके परिवार का भरण-पोषण करता था। 5-बड़े भाई बबलू और नीलू ने कुछ विवाद बताए हैं। इलाके में तहकीकात पर पुलिस को छोटू लोधी के आपराधिक इतिहास की भनक लगने के साथ पता चला कि वह ब्याज पर रकम देने का भी काम करता था। *पुलिसकर्मियों से थे दोस्ताना संबंध* आसपास के लोगों ने पुलिस को जानकारी दी कि छोटू लोधी ने कुछ समय पहले ही टेंट का काम शुरू किया था। इससे पहले बड़े प्रॉपर्टी डीलरों के साथ काम करके पहचान बनाई थी और खुद भी प्रॉपर्टी डीलिंग शुरू की थी। कई पुलिसकर्मियों से उसके दोस्ताना संबंध थे। *रिश्तेदारों के बयान में विरोधाभास* शराब ठेके पर छोटू लोधी के साथ मौजूद मनोज ने पुलिस को बताया कि बाइक चला रहा बदमाश हेलमेट लगाए था और दिनेश ने बाइक चलाने वाले द्वारा चेहरे पर मफलर लपेटे होने की जानकारी दी। *छह साल पहले बीयर शॉप पर हुई थी हत्या* कैंपबेल रोड पर शराब के जिस ठेके के पास शनिवार रात टेंट कारोबारी छोटू लोधी को गोली से उड़ाया गया वहां से सौ मीटर दूर बीयर शॉप पर 16 अक्तूबर 13 को तेल व्यवसायी श्रवण साहू के बेटे आयुष की गोली मारकर हत्या की गई थी। आयुष की हत्या में नामजद अकील अंसारी पुलिस का मुखबिर था। छोटू लोधी के खिलाफ आपराधिक मामले और पुलिस से दोस्ती बताई जा रही है।


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मुत्यु लोक का सच:*आचार्य रजनीश* (१) जब मेरी मृत्यु होगी तो आप मेरे रिश्तेदारों से मिलने आएंगे और मुझे पता भी नहीं चलेगा, तो अभी आ जाओ ना मुझ से मिलने। (२) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आप मेरे सारे गुनाह माफ कर देंगे, जिसका मुझे पता भी नहीं चलेगा, तो आज ही माफ कर दो ना। (३) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आप मेरी कद्र करेंगे और मेरे बारे में अच्छी बातें कहेंगे, जिसे मैं नहीं सुन सकूँगा, तो अभी कहे दो ना। (४) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आपको लगेगा कि इस इन्सान के साथ और वक़्त बिताया होता तो अच्छा होता, तो आज ही आओ ना। इसीलिए कहता हूं कि इन्तजार मत करो, इन्तजार करने में कभी कभी बहुत देर हो जाती है। इस लिये मिलते रहो, माफ कर दो, या माफी माँग लो। *मन "ख्वाईशों" मे अटका रहा* *और* *जिन्दगी हमें "जी "कर चली गई.*
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यौमे पैदाइश की मुबारकबाद आरिज़: *"यौमे पैदाइश"1,अक्टूबर 2020 के मौके पर आरिज़ अली को तहेदिल से मुबारकबाद* रायबरेली,आज हमारे पौत्र आरिज़ अली पुत्र नौशाद अली के योमे पैदाइश का दिन 1अक्टूबर 2020 है । जिसकी खुशी में उसे तहेदिल से *मुबारकबाद* "हैप्पी बर्थडे" आरिज़ अली । दोस्तो आप सब गुजरीस है के आप उसको अपनी दुवाओ से भी नवाज़े। *हैप्पी बर्थडे* आरिज़ अली....!🎂💐 नायाब अली लखनवी सम्पादक "नायाब टाइम्स" *अस्लामु अलैकुम/शुभप्रभात* हैप्पी गुरुवार
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Mom:कृपया इस तस्वीर को पवित्र नजर से देखें, हवस की नजर से नहीं। इस तस्वीर में एक बहुत ही सुंदर संदेश छिपा है, जिसका वर्णन लेखक ने बड़ी ही खूबसूरती से किया है। कृपया पढिए और अपने विचार जरूर व्यक्त करें। #औरत_एक_माँ तस्वीर कहां की है और किसने ली ??? मुझे नहीं मालूम ! लेकिन इस तस्वीर मे दिखने वाली औरत की दशा बता रही है की वह निश्चित रूप से किसी जंगली जनजाति की ही होगी ! क्योंकि सभ्य होने का ढ़ोंग करने वाला आधुनिक समाज में इतना साहस बिल्कुल भी नहीं है की वह अपनी छाती का दूध किसी अन्य जीव को भी पिला सके ??? सभ्य होने के नाटक और बाजारीकरण ने खुद बच्चों से उनकी माओं का दूध छिन लिया है , वह और किसी जीव को तो दूध बाद में पिलायेगीं ??? अब आधुनिक माँ अपने बच्चो को दूध मात्र इस ड़र से नही पिलाती कही उसका फ़िगर खराब ना हो जाये ??? अब शिशु बाजार मे आ रहे डिब्बा बंद दूध पर पल रहे है और जो प्रकृति ने उसके लिये आहार प्रदान किया था वह बाजारवाद ने उससे दूर कर दिया है ! दूध तो दूध इस आधुनिक सभ्य समाज मे अब बच्चा अपनी माँ की गोद के लिए भी तरसता है ??? बाजारीकरण के इस भागम भाग दौर मे भावनाएं कुंद हो चुकी है जिसमे अक्सर गोद मे अपने बच्चे को आधुनिक माँ इस लिये नही लेती कही उसका मेकअप खराब ना हो जाये ??? प्रकृति ने प्रेम और दया करूणा का भाव पुरूषो के मुकाबले स्त्रीयो मे अधिक भरा है , यही कारण है की संसार भर की मादाएं नर के मुकाबले अपने बच्चो की देखभाल बहुत अच्छी तरह करती है ! स्वंय प्रकृति ने मादाओ को शिशुओ की देखभाल का जिम्मा दे रखा है ! लेकिन सभ्य होने के नकली नाटक ने स्त्रीयो के अन्दर के वात्सल्य को मार दिया है और इसका प्रभाव समाज पर पड़ेगां जिस दिन स्त्रीयो के अन्दर से प्रेम और वात्सल्य खत्म हो जायेगां उस दिन आने वाली पीढ़यो के अन्दर सिर्फ नफरत ही बचेगीं ! हमारे नकली विज्ञान नकली सभ्यता से कही बेहतर है यह प्रकृति को समझने वाले नंग धड़ंग लोग ! #कॉपी 🙏🙏
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विख्यात शायर: रायबरेली, मिर्तुलोक के जाने माने मारूफ शायर, मुनव्वर राना साहब के कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर, AIIMS, Delhi में एडमिट किए गए हैं. Thursday(बृहस्पतिवार, जुमेरात) को ऑपरेशन है. आप सभी अहबाब से उनकी रिकवरी की दुआ के लिए मोदबाना दरख़्वास्त है। कृत्य : नायाब टाइम्स
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प्राइवेट व सरकारी स्कूलों में: *वसूली प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिभावकों से सरकारी स्कूलों में मुँह बन्दी सुविधा* "योगेंद्र सिंह" उत्तर प्रदेश:पिछले कुछ दिनों से प्राइवेट स्कूलों की फी वसूली का मुद्दा चर्चा में है। सच पूछिए तो आजादी के बाद सबसे अधिक पतन शिक्षा व्यवस्था का ही हुआ है। प्राइवेट स्कूल पैसा वसूली के अड्डे बन गए हैं, और सरकारी स्कूल अवैध बटवारे के... पढ़ाई लिखाई तो खैर जो है सो हइये है। प्राइवेट स्कूल अब विद्यालय नहीं मॉल हो गए हैं। वहाँ किताबें बिकती हैं, कपड़े बिकते हैं, जूते बिकते हैं, मोजे बिकते हैं, मॉल बिकते हैं, ट्यूशन के मास्टर बिकते हैं, कुछ स्कूलों में धर्म भी बिकता है, और सबसे अंत में शिक्षा बिकती है। और ये सारे सामान लागत मूल्य से दस गुने मूल्य पर बेचे जाते हैं। सरकारी स्कूल मुफ्त राशन की दुकान हो गए हैं। वहाँ सरकार भोजन बांटती है, कपड़े बांटती है, जूते बांटती है, स्कूल बैग बांटती है, पैसे बांटती है, चुनाव के समय वोट का मूल्य बांटती है, और सबसे अंत में शिक्षा बांटती है। इतना ही नहीं, यह सारी बंदरबांट पहली कक्षा से ही बच्चों को उनकी जाति, उनकी कैटेगरी याद दिला कर की जाती है। फिर वही सरकार बुद्धिजीवियों से पूछती है कि जातिवाद मिट क्यों नहीं रहा? और बुद्धिजीवी दारू की बोतल गटक कर कहते हैं, ब्राह्मणवाद के कारण... लॉकडाउन के दौरान विद्यालय बन्द हुए तो सरकार ने आदेश किया कि मध्याह्न भोजन का पैसा हर बच्चे के खाते में भेज दिया जाय। मतलब बटवारा रुकना नहीं चाहिए। उधर प्राइबेट स्कूल वालों ने कहा कि हम ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं, सो फी जमा कीजिये। मतलब वसूली नहीं रुकेगी... दोनों के मालिक अपने अपने एजेंडे पर डटे हुए हैं। मुझे लगता है कि शिक्षा के क्षेत्र में तो कम से कम नैतिकता होनी ही चाहिए। अगर विद्यालय अनुशासित हो गए तो राष्ट्र का भविष्य अनुशासित हो जाएगा। पर दुर्भाग्य यह है कि यहाँ नैतिकता बिल्कुल भी नहीं है। हर जगह केवल और केवल एजेंडा है। हमारे यहाँ नर्सरी क्लास के बच्चे को स्कूल ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं। जिस बच्चे की पोट्टी भी मां धोती है, वह ऑनलाइन पढ़ रहा है। इस ऑन लाइन पढ़ाई का लाभ न बच्चा समझ रहा है, न अभिभावक... बस स्कूल प्रशासन समझ रहा है। प्राइवेट स्कूल वालों का तर्क है कि शिक्षकों का वेतन देना है, सो फी लेना सही है। चलिये छोटे स्कूलों की बात तो समझ आती है, पर वे बड़े स्कूल जिनकी कमाई करोड़ों की है वे क्या तीन महीने का वेतन भी अपने पास से नहीं दे सकते ? वैसे मुझे तो यह भी समझ में नहीं आ रहा कि तीन-चार महीना स्कूल बंद हो जाने से ऐसा क्या बिगड़ जा रहा है जो ऑनलाइन पढ़ाना पड़ रहा है? प्राइवेट स्कूल तो यूँ भी गर्मी छुट्टी के नाम पर दो-दो महीने बन्द रहते हैं। पर नहीं, फीस लेना है तो तेला-बेला करना ही पड़ेगा न! आज देखा कि डीपीएस जैसा बड़ा स्कूल ग्रुप मास्क बेंच रहा है, वह भी 400 रुपये में। यह नैतिक पतन की पराकाष्ठा है। आपको क्या लगता है, ऐसी व्यवस्था में पढ़ कर निकला बच्चा किसी के प्रति निष्ठावान हो सकता है? नहीं! न राष्ट्र के प्रति, न समाज के प्रति, न घर के प्रति... वह बस यही सीखेगा कि जैसे भी हो पैसा कमाना है। किसी भी तरह... वैसे डीपीएस ने अब कहा है कि वह मास्क उसका नहीं है। मास्क न भी हो तब भी किताबों, जूतों आदि के नाम पर लूट कम नहीं होती। वैसे मुझे लगता तो नहीं कि लोग प्राइवेट स्कूलों की इस अनैतिकता का विरोध कर पाएंगे, पर उन्हें करना चाहिए। इस लॉक डाउन पीरियड का फी तो नहीं ही दिया जाना चाहिए। कृत्य:नायाब टाइम्स
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