RBL.:*तबाही के गीत गुनगुना रहा शहीद स्मारक* *प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार अमर बलिदानियों का स्मृति स्थल, आजादी के मतवालों का तीर्थ गन्दगी से पटा।* रायबरेली। जिन आवाज़ो से कभी बिजली के कड़कने का होता था भरम, उन होठों पर भी मजबूर चुप्पियों का ताला लगा देखा है। जी हा, हम बात कर रहे है स्वतंत्रता आंदोलन के ऐतिहासिक स्थल सई नदी के तट पर स्थित शहीद स्मृति स्थल यानी शहीद स्मारक की। आज़ादी के मतवालो और देशभक्तो के लिये तीर्थस्थल और भारत माँ के अमर शहीदों के रक्त से सिंचित स्थल आज प्रशासनिक उपेक्षा का जीता जागता खंडहर गन्दगी का स्मारक बन गया है। यहां युवा जोड़ो का पेड़ो की आड़ में छुपना और पुलिस द्वारा उनकी खोजबीन करके अवैध वसूली करना यह प्रतिदिन का कार्य है। जिस स्थल से आजादी के रणबांकुरों ने भारत माँ को गुलामी की बेडिय़ों से मुक्त कराने के लिये सर्वश्व न्योछावर किया, शिलापट्ट पर अंकित जनपद के शहीदों के नाम पढ़कर भावी पीढियां देशभक्ति की प्रेरणा लेती थी, वह आज अपनी तबाही के गीत गुनगुना रहा है। रायबरेली विकास प्राधिकरण के तत्कालीन सचिव दीनदयाल ने यहां रहते हुए शहीदों के स्मृति स्थल को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिये अथक प्रयास के साथ सौंदर्यीकरण कराया था, जनता भी उत्साहित हुई , यहां लोगो का शाम को तांता लगने लगा, बाहर से आने वाले लोग भी स्मारक को देखकर कृतार्थ समझते थे, वह धीरे धीरे सरकारी उपेक्षा का शिकार होकर जीर्ण-शीर्ण हो गया। शहीद स्मारक में भव्य भारत माँ मंदिर भी स्थापित किया गया। जनपद में धार्मिक, पौराणिक मान्यताओं के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में मील के पत्थर साबित हुए अनेक स्थल है, लेकिन साई नदी के तट पर स्थित किसान आंदोलन का प्रतीक यह शहीद स्थल अपने ह्रदय में स्वतंत्रता का अमर इतिहास सँजोये आज अपने भाग्य पर नही, बल्कि आजादी के बाद देश के रखवालो के बौद्धिक दिवालियेपन पर आंसू बहा रहा और कह रहा कि जो समाज अपने इतिहास को विस्मृत करता है, उसका भविष्य अंधकार के मार्ग पर भटकते हुए अपने स्वर्णिम इतिहास से अपरिचित हो जाता है। यही कुछ हाल है, हमारे शाहीद स्थलों का, न जाने कब प्रशासनिक अमले को आजादी के तीर्थ स्थल के रखरखाव की चिंता होगी। वर्तमान के अंधकार को चीरकर शहीदों की शहादत से प्रेरण लेकर हम भविष्य के निर्माण पथ पर बढेंगे। शहीद स्थल की दुर्दशा इतनी व्यापक हो गयी है कि वहां हर तरफ गन्दगी का अंबार है, बच्चों के खेलने के लिए बने झूले घोड़े अपना अस्तित्व समाप्त कर चुके है, इसलिये अब यहां कोई नही आना चाहता, यह हमारे लिये बड़ी चिंता का विषय है, आगे आने वाली पीढिय़ों को हम कौन सा इतिहास या अपनी गौरवगाथा बताएंगे जिसे सुनकर वह गौरवपूर्ण महसूस कर सके। *एक बार ही होता गुलजार* शहीद स्मारक स्थल पर शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वाले लाइनें लागू होती हैं। केवल सात जनवरी को शहीदों की याद में एक बार मेला लगता है। शहीदों के परिजनों के सम्मान की औपचारिकताएं निभाई जाती है। इसके बाद पूरे साल यह वीरानी छायी रहती है। *प्रशासन ध्यान दे?* मुंसीगंज स्थिति शाहिद स्मारक स्थल के सौंदर्यीकरण व साफ सफाई की ओर तत्काल ध्यान देकर शहीद स्मारक को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की दिशा में कदम उठाएएजिससे भविष्य में स्वतंत्रता आंदोलन की अनमोल धरोहर की रक्षा का मार्ग प्रसस्त हो सके। पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के साथ वहां एक पुस्तकालय व संग्रहालय स्थापित किया जाए जिसमे स्वतंत्रता आंदोलन के महानायको के जीवन परिचय आदि के साथ इतिहास व अन्य प्रेरणादायक साहित्य को भविष्य की पीढिय़ों के लिये उपलब्ध कराया जा सके।


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यमदुतिया के दिन: *क्यों कायस्थ 24 घंटे के लिए नही करते कलम का उपयोग* "मुकुल श्रीवास्तव" स्वर्ग लोक से मृत्यु लोक:- जब भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण छुट जाने से नाराज भगवान् चित्रगुप्त ने रख दी थी कलम !!उस समय परेवा काल शुरू हो चुका था "परेवा के दिन कायस्थ समाज कलम का प्रयोग नहीं करते हैं यानी किसी भी तरह का का हिसाब - किताब नही करते है आखिर ऐसा क्यूँ है ?" कि पूरी दुनिया में कायस्थ समाज के लोग दीपावली के दिन पूजन के बाद कलम रख देते है और फिर यमदुतिया के दिन कलम- दवात के पूजन के बाद ही उसे उठाते है I इसको लेकर सर्व समाज में कई सवाल अक्सर लोग कायस्थों से करते है ? ऐसे में अपने ही इतिहास से अनभिग्य कायस्थ युवा पीढ़ी इसका कोई समुचित उत्तर नहीं दे पाती है I जब इसकी खोज की गई तो इससे सम्बंधित एक बहुत रोचक घटना का संदर्भ हमें किवदंतियों में मिला I कहते है जब भगवान् राम दशानन रावण को मार कर अयोध्या लौट रहे थे, तब उनके खडाऊं को राजसिंहासन पर रख कर राज्य चला रहे राजा भरत ने गुरु वशिष्ठ को भगवान् राम के राज्यतिलक के लिए सभी देवी देवताओं को सन्देश भेजने की व्यवस्था करने को कहा I गुरु वशिष्ठ ने ये काम अपने शिष्यों को सौंप कर राज्यतिलक की तैयारी शुरू कर दीं I ऐसे में जब राज्यतिलक में सभी देवीदेवता आ गए तब भगवान् राम ने अपने अनुज भरत से पूछा भगवान चित्रगुप्त नहीं दिखाई दे रहे है इस पर जब खोज बीन हुई तो पता चला की गुरु वशिष्ठ के शिष्यों ने भगवान चित्रगुप्त को निमत्रण पहुंचाया ही नहीं था जिसके चलते भगवान् चित्रगुप्त नहीं आये I इधर भगवान् चित्रगुप्त सब जान चुके थे और इसे प्रभु राम की महिमा समझ रहे थे । फलस्वरूप उन्होंने गुरु वशिष्ठ की इस भूल को अक्षम्य मानते हुए यमलोक में सभी प्राणियों का लेखा जोखा लिखने वाली कलम को उठा कर किनारे रख दिया I सभी देवी देवता जैसे ही राजतिलक से लौटे तो पाया की स्वर्ग और नरक के सारे काम रुक गये थे , प्राणियों का का लेखा जोखा ना लिखे जाने के चलते ये तय कर पाना मुश्किल हो रहा था की किसको कहाँ भेजे I *तब गुरु वशिष्ठ की इस गलती को समझते हुए भगवान राम ने अयोध्या में भगवान् विष्णु द्वारा स्थापित भगवान चित्रगुप्त के मंदिर* (श्री अयोध्या महात्मय में भी इसे श्री धर्म हरि मंदिर कहा गया है धार्मिक मान्यता है कि अयोध्या आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को अनिवार्यत: श्री धर्म-हरि जी के दर्शन करना चाहिये, अन्यथा उसे इस तीर्थ यात्रा का पुण्यफल प्राप्त नहीं होता।) *में गुरु वशिष्ठ के साथ जाकर भगवान चित्रगुप्त की स्तुति की और गुरु वशिष्ठ की गलती के लिए क्षमायाचना की, जिसके बाद भगवान राम के आग्रह मानकर भगवान चित्रगुप्त ने लगभग ४ पहर (२४ घंटे बाद ) पुन: *कलम दवात की पूजा करने के पश्चात उसको उठाया और प्राणियों का लेखा जोखा लिखने का कार्य आरम्भ किया I कहते तभी से कायस्थ दीपावली की पूजा के पश्चात कलम को रख देते हैं और *यमदुतिया के दिन भगवान चित्रगुप्त का विधिवत कलम दवात पूजन करके ही कलम को धारण करते है* कहते है तभी से कायस्थ ब्राह्मणों के लिए भी पूजनीय हुए और इस घटना के पश्चात मिले वरदान के फलस्वरूप सबसे दान लेने वाले ब्राह्मणों से दान लेने का हक़ सिर्फ कायस्थों को ही है............✍ कृत्य:नायाब टाइम्स
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*--1918 में पहली बार इस्तेमाल हुआ ''हिन्दू'' शब्द !--* *तुलसीदास(1511ई०-1623ई०)(सम्वत 1568वि०-1680वि०)ने रामचरित मानस मुगलकाल में लिखी,पर मुगलों की बुराई में एक भी चौपाई नहीं लिखी क्यों ?* *क्या उस समय हिन्दू मुसलमान का मामला नहीं था ?* *हाँ,उस समय हिंदू मुसलमान का मामला नहीं था क्योंकि उस समय हिन्दू नाम का कोई धर्म ही नहीं था।* *तो फिर उस समय कौनसा धर्म था ?* *उस समय ब्राह्मण धर्म था और ब्राह्मण मुगलों के साथ मिलजुल कर रहते थे,यहाँ तक कि आपस में रिश्तेदार बनकर भारत पर राज कर रहे थे,उस समय वर्ण व्यवस्था थी।तब कोई हिन्दू के नाम से नहीं जाति के नाम से पहचाना जाता था।वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य से नीचे शूद्र था सभी अधिकार से वंचित,जिसका कार्य सिर्फ सेवा करना था,मतलब सीधे शब्दों में गुलाम था।* *तो फिर हिन्दू नाम का धर्म कब से आया ?* *ब्राह्मण धर्म का नया नाम हिन्दू तब आया जब वयस्क मताधिकार का मामला आया,जब इंग्लैंड में वयस्क मताधिकार का कानून लागू हुआ और इसको भारत में भी लागू करने की बात हुई।* *इसी पर ब्राह्मण तिलक बोला था,"क्या ये तेली, तम्बोली,कुणभठ संसद में जाकर हल चलायेंगे,तेल बेचेंगे ? इसलिए स्वराज इनका नहीं मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है यानि ब्राह्मणों का। हिन्दू शब्द का प्रयोग पहली बार 1918 में इस्तेमाल किया गया।* *तो ब्राह्मण धर्म खतरे में क्यों पड़ा ?* *क्योंकि भारत में उस समय अँग्रेजों का राज था,वहाँ वयस्क मताधिकार लागू हुआ तो फिर भारत में तो होना ही था।* *ब्राह्मण की संख्या 3.5% हैं,अल्पसंख्यक हैं तो राज कैसे करेंगे ?* *ब्राह्मण धर्म के सारे ग्रंथ शूद्रों के विरोध में,मतलब हक-अधिकार छीनने के लिए,शूद्रों की मानसिकता बदलने के लिए षड़यंत्र का रूप दिया गया।* *आज का OBC ही ब्राह्मण धर्म का शूद्र है। SC (अनुसूचित जाति) के लोगों को तो अछूत घोषित करके वर्ण व्यवस्था से बाहर रखा गया था।* *ST (अनुसूचित जनजाति) के लोग तो जंगलों में थे उनसे ब्राह्मण धर्म को क्या खतरा ? ST को तो विदेशी आर्यों ने सिंधु घाटी सभ्यता संघर्ष के समय से ही जंगलों में जाकर रहने पर मजबूर किया उनको वनवासी कह दिया।* *ब्राह्मणों ने षड़यंत्र से हिन्दू शब्द का इस्तेमाल किया जिससे सबको को समानता का अहसास हो लेकिन ब्राह्मणों ने समाज में व्यवस्था ब्राह्मण धर्म की ही रखी।जिसमें जातियाँ हैं,ये जातियाँ ही ब्राह्मण धर्म का प्राण तत्व हैं, इनके बिना ब्राह्मण का वर्चस्व खत्म हो जायेगा।* *इसलिए तुलसीदास ने मुसलमानों के विरोध में नहीं शूद्रों के विरोध में शूद्रों को गुलाम बनाए रखने के लिए लिखा !* *"ढोल गंवार शूद्र पशु नारी।ये सब ताड़न के अधिकारी।।"* *अब जब मुगल चले गये,देश में OBC-SC के लोग ब्राह्मण धर्म के विरोध में ब्राह्मण धर्म के अन्याय अत्याचार से दुखी होकर इस्लाम अपना लिया था* *तो अब ब्राह्मण अगर मुसलमानों के विरोध में जाकर षड्यंत्र नहीं करेगा तो OBC,ST,SC के लोगों को प्रतिक्रिया से हिन्दू बनाकर,बहुसंख्यक लोगों का हिन्दू के नाम पर ध्रुवीकरण करके अल्पसंख्यक ब्राह्मण बहुसंख्यक बनकर राज कैसे करेगा ?* *52% OBC का भारत पर शासन होना चाहिये था क्योंकि OBC यहाँ पर अधिक तादात में है लेकिन यहीं वर्ग ब्राह्मण का सबसे बड़ा गुलाम भी है। यहीं इस धर्म का सुरक्षाबल बना हुआ है,यदि गलती से भी किसी ने ब्राह्मणवाद के खिलाफ आवाज़ उठाई तो यहीं OBC ब्राह्मणवाद को बचाने आ जाता है और वह आवाज़ हमेशा के लिये खामोश कर दी जाती है।* *यदि भारत में ब्राह्मण शासन व ब्राह्मण राज़ कायम है तो उसका जिम्मेदार केवल और केवल OBC है क्योंकि बिना OBC सपोर्ट के ब्राह्मण यहाँ कुछ नही कर सकता।* *OBC को यह मालूम ही नही कि उसका किस तरह ब्राह्मण उपयोग कर रहा है, साथ ही साथ ST-SC व अल्पसंख्यक लोगों में मूल इतिहास के प्रति अज्ञानता व उनके अन्दर समाया पाखण्ड अंधविश्वास भी कम जिम्मेदार नही है।* *ब्राह्मणों ने आज हिन्दू मुसलमान समस्या देश में इसलिये खड़ी की है कि तथाकथित हिन्दू (OBC,ST,SC) अपने ही धर्म परिवर्तित भाई मुसलमान,ईसाई से लड़ें,मरें क्योंकि दोनों ओर कोई भी मरे फायदा ब्राह्मणों को ही हैं।* *क्या कभी आपने सुना है कि किसी दंगे में कोई ब्राह्मण मरा हो ? जहर घोलनें वाले कभी जहर नहीं पीते हैं।*
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Sr. IAS: Nayab Times family congratulating Shri Mukesh Kr Meshram Ji , IAS for becoming commissioner Lucknow. *We are proud of you sir!!!*
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