आज मैं मौत आगोश: *डॉक्टर भगवान से कम नही, 11 नवम्बर 1997 को डॉक्टरों की टीम ने 48 घंटे बाद नायाब अली लखनवी को मौत के मुँह से भगवान बनकर निकाला* *लखनऊ* मौत के मुँह से बाहर निकलकर आने बाले यह और किसी की कहानी नही, यह अजूबा और कोई नही खुद नायाब अली लखनबी है जोकि 48 घँटे मौत से लड़ने के बाद जीवित हुए। घटना 11 नवम्बर 1997 की है डॉक्टर्स टीम ने हाथ खड़ा कर दिया था कि अब इनमें जान नही बची, उसके बाद विश्व प्रशिद्ध डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी,डॉ० राजेश श्रीवास्तव कॉर्डियोलॉजिस्ट की टीम ने 48 घण्टे मौत से लड़ने बाली अजूबी शख़्सियत को भगवान बनकर 15 वां जीवन दान दिया। डॉ० आर०के०मिश्रा,डॉ०प्रवीन प्रधान,डॉ० राजीव चौधरी ने भी अथक प्रयास करके बखूबी साथ दिया। *कृत्य: नायाब टाइम्स*


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यौमे पैदाइश की मुबारकबाद आरिज़: *"यौमे पैदाइश"1,अक्टूबर 2020 के मौके पर आरिज़ अली को तहेदिल से मुबारकबाद* रायबरेली,आज हमारे पौत्र आरिज़ अली पुत्र नौशाद अली के योमे पैदाइश का दिन 1अक्टूबर 2020 है । जिसकी खुशी में उसे तहेदिल से *मुबारकबाद* "हैप्पी बर्थडे" आरिज़ अली । दोस्तो आप सब गुजरीस है के आप उसको अपनी दुवाओ से भी नवाज़े। *हैप्पी बर्थडे* आरिज़ अली....!🎂💐 नायाब अली लखनवी सम्पादक "नायाब टाइम्स" *अस्लामु अलैकुम/शुभप्रभात* हैप्पी गुरुवार
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गुरुनानक देव जयन्ती बधाई: मृत्यु लोक के सभी जीव जंतु पशु पक्षी प्राणियों को स्वस्थ शरीर एवं लम्बी उम्र दे खुदा आज के दिन की *💐🌹*गुरु नानक जयन्ती पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं/लख लख मुबारक।*💐🌹 * हो.. रब से ये दुआ है कि आपके परिवार में खुशियां ही खुशियाँ हो आमीन..! अपने अंदाज में मस्ती से रहा करता हूँ वो साथ हमारे हैं जो कुछ दूर चला करते हैं । हम आज है संजीदा बेग़म साहेबा के साथ.....! *अस्लामु अलैकुम/शुभप्रभात* हैप्पी सोमवार
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मुत्यु लोक का सच:*आचार्य रजनीश* (१) जब मेरी मृत्यु होगी तो आप मेरे रिश्तेदारों से मिलने आएंगे और मुझे पता भी नहीं चलेगा, तो अभी आ जाओ ना मुझ से मिलने। (२) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आप मेरे सारे गुनाह माफ कर देंगे, जिसका मुझे पता भी नहीं चलेगा, तो आज ही माफ कर दो ना। (३) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आप मेरी कद्र करेंगे और मेरे बारे में अच्छी बातें कहेंगे, जिसे मैं नहीं सुन सकूँगा, तो अभी कहे दो ना। (४) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आपको लगेगा कि इस इन्सान के साथ और वक़्त बिताया होता तो अच्छा होता, तो आज ही आओ ना। इसीलिए कहता हूं कि इन्तजार मत करो, इन्तजार करने में कभी कभी बहुत देर हो जाती है। इस लिये मिलते रहो, माफ कर दो, या माफी माँग लो। *मन "ख्वाईशों" मे अटका रहा* *और* *जिन्दगी हमें "जी "कर चली गई.*
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