Nashtiq.:हरियाणा के रवि कुमार ने 29 अप्रैल को दो साल की लंबी लड़ाई के बाद सरकार से ‘नो कास्ट, नो रिलीजन, नो गॉड सर्टिफिकेट’ का हासिल कर लिया है. सरकार ने इस प्रमाण पत्र में लिखकर दिया है कि रवि कुमार किसी जाति, धर्म और किसी भगवान से नाता नहीं रखते हैं. फतेहाबाद के टोहाना तहसील के रहने वाले 33 वर्षीय रवि ने देश का संभवतया पहला ऐसा सर्टिफिकेट हासिल किया है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि उनसे वर्ल्ड रिकॉर्ड वालों ने भी संपर्क किया है. उन्हें यह सर्टिफिकेट 29 अप्रैल टोहाना के तहसीलदार के कार्यालय से जारी किया गया है. अपनी इस ज़िद की वजह से वो नौकरी खो चुके हैं और जातिगत भेदभाव झेल चुके हैं. वो अपनी नौकरी छोड़ने वाला किस्सा सुनाते हुए कहते हैं, ‘मेरी नौकरी टोहना के ही जाटों के गांव समैण में कॉनट्रैक्ट बेस पर लगी थी. मैं पशुओं के अस्पताल में काम करता था. मेरे वहां जाने के 6 महीने बाद कई भैंसें मर गईं. गांववालों ने कहा कि ये नास्तिक है इसलिए ऐसा हुआ. वहां आरएसएस से जुड़े कुछ लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि मेरी वजह से ऐसा हो रहा है. उसके बाद मैं वो नौकरी छोड़ कर आ गया. वहां लोग कहने लगे थे कि इसके हाथ का पानी भी नहीं पियेंगे.’ उनका मानना है कि बचपन के कुछ किस्सों ने उन्हें नास्तिक बनने के लिए प्रेरित किया. जब चार साल के थे तो पड़ोसी बच्चों से मारपीट हो गई. आगे वो बताते हैं, ‘मेरे दादाजी कृष्ण को मानते थे. कहते थे कि मुसीबत में वही साथ देता है. लेकिन उस दिन मैंने कृष्ण को याद किया लेकिन फिर भी मुझे चार बच्चों ने पीट दिया. दूसरा मेरा मोहभंग दिवाली पूजा के दौरान हो गया. सब कहते थे कि लक्ष्मी आएगी. दरवाज़ा खुला रखो. एक बार मैंने जागकर सब देखा. लक्ष्मी तो आई नहीं, लेकिन चूहा ज़रूर आया.’ ‘जाति नाम की भी कोई चीज़ होती है ये तब पता चला जब स्कूल में मास्टर ने जाति पूछी. मैंने घर आकर कहा कि जाति क्यों होती है तो घरवालों ने कहा कि ये तो पागल है. जब रवि टोहना के ही आइजी कॉलेज में पढ़ रहे थे तो वहां जातियों का रुतबा भी देख लिया. कॉलेज के अपने अनुभवों को बताते हैं, ‘कॉलेज में गया तो यहां भी वही हाल. पढ़ाई-लिखाई से कोई मतलब नहीं. बस अपनी जाति के नाम से दबंगई.’ रवि को कुछ सालों पहले ही पता चला है कि भगत सिंह भी नास्तिक थे. भीम राव अंबेडकर से भी रवि को प्रेरणा मिलती है. जह ये केस लड़ना शुरू किया तो घरवालों ने पैसे देने से मना कर दिया और घर छोड़कर जाने की भी धमकी दी. ऐसे में रवि ने मज़दूरी करके पैसे जुटाने शुरू किए. 2017 के आखिर से शुरू हुई ये लड़ाई जनवरी 2018 में आकर सफल हुई और टोहना कोर्ट ने उन्हें अपने नाम के साथ नास्तिक लिखने की अनुमति दी. लेकिन अब अप्रैल 2019 में उनका सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया है. हालांकि रवि से पहले तमिलनाडू की स्नेहा ने नो कास्ट नो रिलिजन का सर्टिफिकेट 9 साल की लंबी लड़ाई के बाद फरवरी 2019 में हासिल कर लिया था. स्नेहा पेशे से वकील हैं और उनके परिवार में कोई भी जाति या धर्म जैसी चीजों में विश्वास नहीं रखता. इस पूरे प्रकरण में तहसीलदार भी बाकी लोगों की तरह तंग करते रहे. जब रवि ने उपायुक्त धीरेंद्र खडगड़ा से संपर्क किया और अपना पक्ष बताया तो उपायुक्त ने पूरी तहकीकात करवाई. तहकीकात में पाया गया कि रवि पर ना ही कोई आपराधिक मामला दर्ज है और ना ही विदेश से कोई संपर्क. इसके बाद डीसी ने तहसीलदार को लेटर लिखकर रवि का सर्टिफिकेट जारी करने को कहा. रवि बताते हैं, मुझे अन्ना हजारे की तरह ही सोशल चेंज मेकर का सर्टिफिकेट भी मिला हुआ है. मैं यहां से जात-पात मिटा देना चाहता हूं. समाज ने दुत्कारा वो अलग बात है लेकिन रवि के सामने एक और चुनौती है. अपना जीवन साथी ढूंढना. घर पर कई रिश्ते आए लेकिन जैसे ही नास्तिक वाला मामला पता चलता है तो बात आगे ही नहीं बढ़ पाई. जब उन्होंने कहा कि दहेज नहीं लूंगा और कोर्ट में शादी करूंगा तो लड़की वाले मना कर जाते. अब उनका कहना है कि अगर कोई मेरी तरह की लड़की मिलेगी जो जाति-धर्म या भगवान को नहीं मानती होगी तो उसी से शादी करूंगा. उनकी महिला मित्र भी हैं जिनको समाज से लड़-भिड़ कर अपने लक्ष्य पूरे करने पड़ रहे हैं. रवि इसपर भी चिंता ज़ाहिर करते हैं. केजरीवाल से नाराज़ ... भगवान को न मानने वाले रवि राजनेताओं के बात बात पर भगवान के दर जा कर चुनावी राजनीति करने से भी बहुत शुब्ध है. दि प्रिंट को उन्होंने कहा, ‘मैंने पांच-सात दिन पहले अरविंद केजरीवाल को नोटिस भेजा है. 2014 में ये भगत सिंह की तरह क्रांतिकारी चुनाव प्रचार कर रहे थे. अभी कुछ दिन पहले केजरीवाल कह रहे हैं कि दिल्ली में 70 सीटों में से 67 सीटों पर जीतना किसी देवी-देवता का ही आशीर्वाद है. ये लोग जनता को गुमराह कर रहे हैं. जनता ने जिताया है या देवी-देवता ने? रवि आगे कहते हैं, ‘2014 के आसपास मैं आम आदमी पार्टी से जुड़ा था. 11 दिन अनशन भी किया. उस वक्त भी मुझे इनकी देवी-देवता वाली बातें अटपटी लगती थीं. मतलब आप भी बाकी पार्टियों की तरह ही देवी-देवता करने लगे हो. कोई पिछले दिनों श्राप दे रहा था. मैंने केजरीवाल के पीए को फोन किया कि मेरे नोटिस का जवाब नहीं आया. तो पीए ने धमकाने वाले लहजे में बात की. मैंने उनकी बातें रिकॉर्ड कर ली हैं. पिछले तीन साल से रवि एक किताब पर काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि वो किताब का नाम तो नहीं बता पाएंगे लेकिन इसका विषय जीवन है. नास्तिक होने की पहचान ने भले ही उन्हें समाज से हैरेस करवाया हो लेकिन रवि अब अपनी पहचान को हाथों पर टैटू के रूप में लेकर चलते हैं. फेसबुक पर भी उन्होंने अपना नाम रवि एथिस्ट लिखा हुआ है. रवि समाज कल्याण का काम करना चाहते हैं. उनके फोन की रिंगटोन है- किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार जीना इसी का नाम है।


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मुत्यु लोक का सच:*आचार्य रजनीश* (१) जब मेरी मृत्यु होगी तो आप मेरे रिश्तेदारों से मिलने आएंगे और मुझे पता भी नहीं चलेगा, तो अभी आ जाओ ना मुझ से मिलने। (२) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आप मेरे सारे गुनाह माफ कर देंगे, जिसका मुझे पता भी नहीं चलेगा, तो आज ही माफ कर दो ना। (३) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आप मेरी कद्र करेंगे और मेरे बारे में अच्छी बातें कहेंगे, जिसे मैं नहीं सुन सकूँगा, तो अभी कहे दो ना। (४) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आपको लगेगा कि इस इन्सान के साथ और वक़्त बिताया होता तो अच्छा होता, तो आज ही आओ ना। इसीलिए कहता हूं कि इन्तजार मत करो, इन्तजार करने में कभी कभी बहुत देर हो जाती है। इस लिये मिलते रहो, माफ कर दो, या माफी माँग लो। *मन "ख्वाईशों" मे अटका रहा* *और* *जिन्दगी हमें "जी "कर चली गई.*
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अति दुःखद: *पूर्व विधायक आशा किशोर के पति का निधन* रायबरेली,सलोन विधान सभा के समाजवादी पार्टी की पूर्व विधायक आशा किशोर के पति श्याम किशोर की लंबी बीमारी के बाद लखनऊ के एक अस्पताल में निधन हो गया।इनकी उम्र लगभग 70 वर्ष की थी और पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। स्व श्याम किशोर अपने पीछे पत्नी आशा किशोर सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गए है। श्याम किशोर की अंत्येष्टि पैतृक गांव सुखठा, दीन शाहगौरा में किया गया।इस अवसर पर सपा के वरिष्ठ नेता रामबहादुर यादव, विधायक डॉ मनोज कुमार पांडे, आरपी यादव, भाजपा सलोन विधायक दल बहादुर कोरी, राम सजीवन यादव, जगेश्वर यादव, राजेंद्र यादव,अखिलेश यादव राहुल निर्मल आदि ने पहुंचकर शोक संतृप्त परिवार को ढांढस बंधाया। कृत्य:नायाब टाइम्स
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पराली न जलाए: *पराली और कृषि अपशिष्ट आदि सहित फसलों के ठंडल भी न जलाये अन्यथा होगी दण्डात्मक कार्यवाही:वैभव श्रीवास्तव* रायबरेली,जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने मा0 राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा फसल अवशेष/पराली जलाने को दण्डनीय अपराध घोषित करने की सूचना के बाद भी जनपद के कुछ किसानों द्वारा पराली जलाने की अप्रिय घटनाए घटित की जा रही है, जिसके क्रम में उत्तर प्रदेश शासन के साथ ही मा0 उच्चतम न्यायालय एवं मा0 हरित न्यायालयकरण (एन0जी0टी0) द्वारा कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये है, जनपद के समस्त कृषकों एवं जनपदवासी पराली (फसल अवशेष) या किसी भी तरह का कूड़ा, जलाने की घटनाये ग्रामीण एंव नगरी क्षेत्र घटित होती है तो ऐसे व्यक्तियों के विरूद्ध आर्थिक दण्ड एवं विधिक कार्यवाही के साथ ही उनकों देय समस्त शासकीय सुविधाओं एवं अनुदान समाप्त करते हुए यदि वे किसी विशेष लाइसेंस (निबन्धन) के धारक है तो उसे भी समाप्त किया जायेगा और ग्राम पंचायत निर्वाचन हेतु अदेय प्रमाण पत्र भी नही दिया जायेगा। इसके साथ ही घटित घटनाओं से सम्बन्धित ग्राम प्रधान, राजस्वकर्मी, लेखपाल, ग्राम पंचायत अधिकारी एवं ग्राम विकास अधिकारी तथा कृषि विभाग के कर्मचारी एवं पुलिस विभाग से सम्बन्धित हल्का प्रभारी के विरूद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। मा0 राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश में कृषि अपशिष्ट को जलाये जाने वाले व्यक्ति के विरूद्ध नियमानुसार अर्थदण्ड अधिरोपित किये जाने के निर्देश है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत पारित उक्त आदेशों का अनुपालन अत्यन्त आवश्यक है अन्यथा इसी अधिनियम की धारा 24 के अन्तर्गत आरोपित क्षतिपूर्ति की वसूली और धारा-26 के अन्तर्गत उल्लघंन की पुनरावित्त होने पर करावास एवं अर्थदण्ड आरोपित किया जाना प्राविधनित है एवं एक्ट संख्या 14/1981 की धारा 19 के अन्तर्गत अभियोजन की कार्यवाही कर नियमानुसार कारावास या अर्थदण्ड या दोनों से दण्डित कराया जायेगा। उक्त आदेश के अनुपालन में लेखपाल द्वारा क्षतिपूर्ति की वसूली की धनराशि सम्ब.न्धित से भू-राजस्व के बकाया की भांति की जायेगी। ग्राम सभा की बैठक में पराली प्रबन्धन एवं पराली एवं कृषि अपशिष्ट जैसे गन्ने की पत्ती/गन्ना, जलाने पर लगने वाले अर्थदण्ड एवं विधिक कार्यवाही के बारे में बताया कि कोई भी व्यक्ति कृषि अपशिष्ट को नही जलायेगा तथा कृषि अपशिष्ट जलाने पर तत्काल सम्बन्धित थाने पर सूचना दी जायेगी एवं आर्थिक दण्ड विधिक कार्यवाही करायी जायेगी। जिलाधिकारी ने कहा है कि किसान पराली व कृषि अपशिष्ट जैसे गन्ने की सूखी पत्ती या फसलों के डंठल इत्यादि न जलायें। पराली और कृषि अपशिष्ट न जलाने पर तहसील व विकास खण्ड, ग्राम स्तरों पर जागरूकता कार्यक्रम चलाकर आम आदमी को जागरूक भी किया जाये। उन्होंने कहा कि पराली जलाने पर पूरी तरह से शासन द्वारा पाबंदी लगाई गई है। शासन के निर्देशानुसार जनपद में पराली जाने पर कड़ी से अनुपालन भी कराया जा रहा है। कृत्य:नायाब टाइम्स *अस्लामु अलैकुम/शुभरात्रि*
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*--1918 में पहली बार इस्तेमाल हुआ ''हिन्दू'' शब्द !--* *तुलसीदास(1511ई०-1623ई०)(सम्वत 1568वि०-1680वि०)ने रामचरित मानस मुगलकाल में लिखी,पर मुगलों की बुराई में एक भी चौपाई नहीं लिखी क्यों ?* *क्या उस समय हिन्दू मुसलमान का मामला नहीं था ?* *हाँ,उस समय हिंदू मुसलमान का मामला नहीं था क्योंकि उस समय हिन्दू नाम का कोई धर्म ही नहीं था।* *तो फिर उस समय कौनसा धर्म था ?* *उस समय ब्राह्मण धर्म था और ब्राह्मण मुगलों के साथ मिलजुल कर रहते थे,यहाँ तक कि आपस में रिश्तेदार बनकर भारत पर राज कर रहे थे,उस समय वर्ण व्यवस्था थी।तब कोई हिन्दू के नाम से नहीं जाति के नाम से पहचाना जाता था।वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य से नीचे शूद्र था सभी अधिकार से वंचित,जिसका कार्य सिर्फ सेवा करना था,मतलब सीधे शब्दों में गुलाम था।* *तो फिर हिन्दू नाम का धर्म कब से आया ?* *ब्राह्मण धर्म का नया नाम हिन्दू तब आया जब वयस्क मताधिकार का मामला आया,जब इंग्लैंड में वयस्क मताधिकार का कानून लागू हुआ और इसको भारत में भी लागू करने की बात हुई।* *इसी पर ब्राह्मण तिलक बोला था,"क्या ये तेली, तम्बोली,कुणभठ संसद में जाकर हल चलायेंगे,तेल बेचेंगे ? इसलिए स्वराज इनका नहीं मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है यानि ब्राह्मणों का। हिन्दू शब्द का प्रयोग पहली बार 1918 में इस्तेमाल किया गया।* *तो ब्राह्मण धर्म खतरे में क्यों पड़ा ?* *क्योंकि भारत में उस समय अँग्रेजों का राज था,वहाँ वयस्क मताधिकार लागू हुआ तो फिर भारत में तो होना ही था।* *ब्राह्मण की संख्या 3.5% हैं,अल्पसंख्यक हैं तो राज कैसे करेंगे ?* *ब्राह्मण धर्म के सारे ग्रंथ शूद्रों के विरोध में,मतलब हक-अधिकार छीनने के लिए,शूद्रों की मानसिकता बदलने के लिए षड़यंत्र का रूप दिया गया।* *आज का OBC ही ब्राह्मण धर्म का शूद्र है। SC (अनुसूचित जाति) के लोगों को तो अछूत घोषित करके वर्ण व्यवस्था से बाहर रखा गया था।* *ST (अनुसूचित जनजाति) के लोग तो जंगलों में थे उनसे ब्राह्मण धर्म को क्या खतरा ? ST को तो विदेशी आर्यों ने सिंधु घाटी सभ्यता संघर्ष के समय से ही जंगलों में जाकर रहने पर मजबूर किया उनको वनवासी कह दिया।* *ब्राह्मणों ने षड़यंत्र से हिन्दू शब्द का इस्तेमाल किया जिससे सबको को समानता का अहसास हो लेकिन ब्राह्मणों ने समाज में व्यवस्था ब्राह्मण धर्म की ही रखी।जिसमें जातियाँ हैं,ये जातियाँ ही ब्राह्मण धर्म का प्राण तत्व हैं, इनके बिना ब्राह्मण का वर्चस्व खत्म हो जायेगा।* *इसलिए तुलसीदास ने मुसलमानों के विरोध में नहीं शूद्रों के विरोध में शूद्रों को गुलाम बनाए रखने के लिए लिखा !* *"ढोल गंवार शूद्र पशु नारी।ये सब ताड़न के अधिकारी।।"* *अब जब मुगल चले गये,देश में OBC-SC के लोग ब्राह्मण धर्म के विरोध में ब्राह्मण धर्म के अन्याय अत्याचार से दुखी होकर इस्लाम अपना लिया था* *तो अब ब्राह्मण अगर मुसलमानों के विरोध में जाकर षड्यंत्र नहीं करेगा तो OBC,ST,SC के लोगों को प्रतिक्रिया से हिन्दू बनाकर,बहुसंख्यक लोगों का हिन्दू के नाम पर ध्रुवीकरण करके अल्पसंख्यक ब्राह्मण बहुसंख्यक बनकर राज कैसे करेगा ?* *52% OBC का भारत पर शासन होना चाहिये था क्योंकि OBC यहाँ पर अधिक तादात में है लेकिन यहीं वर्ग ब्राह्मण का सबसे बड़ा गुलाम भी है। यहीं इस धर्म का सुरक्षाबल बना हुआ है,यदि गलती से भी किसी ने ब्राह्मणवाद के खिलाफ आवाज़ उठाई तो यहीं OBC ब्राह्मणवाद को बचाने आ जाता है और वह आवाज़ हमेशा के लिये खामोश कर दी जाती है।* *यदि भारत में ब्राह्मण शासन व ब्राह्मण राज़ कायम है तो उसका जिम्मेदार केवल और केवल OBC है क्योंकि बिना OBC सपोर्ट के ब्राह्मण यहाँ कुछ नही कर सकता।* *OBC को यह मालूम ही नही कि उसका किस तरह ब्राह्मण उपयोग कर रहा है, साथ ही साथ ST-SC व अल्पसंख्यक लोगों में मूल इतिहास के प्रति अज्ञानता व उनके अन्दर समाया पाखण्ड अंधविश्वास भी कम जिम्मेदार नही है।* *ब्राह्मणों ने आज हिन्दू मुसलमान समस्या देश में इसलिये खड़ी की है कि तथाकथित हिन्दू (OBC,ST,SC) अपने ही धर्म परिवर्तित भाई मुसलमान,ईसाई से लड़ें,मरें क्योंकि दोनों ओर कोई भी मरे फायदा ब्राह्मणों को ही हैं।* *क्या कभी आपने सुना है कि किसी दंगे में कोई ब्राह्मण मरा हो ? जहर घोलनें वाले कभी जहर नहीं पीते हैं।*
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