इन्शानियत में मजहब कहा: *** मंदिर के महंत के लिए मसीहा बने डॉ. वसीम *** --- डॉ. वसीम ने फ्री में किया महंत का हर्निया का ऑपरेशन --- महंत का दुनिया मे कोई नही, न पास थे इलाज के लिए पैसे शाहजहाँपुर। इंसानियत के लिए पहचाने जाने वाले जिले के मशहूर सर्जन डॉ. वसीम हसन खां एक बार फिर गरीब के लिए मसीहा बनकर सामने आए। जिसका दुनिया मे कोई नही उसका फ्री में इलाज कर इंसानियत की मिसाल कायम कर दी। शहर के रेती मोहल्ले में स्थित काली मंदिर के महंत महेशदास का या दुनिया मे कोई नही है। वह मंदिर पर रहकर की अपना जीवन यापन करते है। कुछ दिन से वह हर्निया की दिक्कत से जूझ रहे थे। किसी ने उन्हें डॉक्टर वसीम की दरिया दिली की बारे में बताया तो वह डॉ.वसीम के क्लिनिक पर आकर उनसे मिले और अपनी पीड़ा बताई। उन्होंने डॉक्टर से कहा कि उनके पास इलाज के लिए पैसे नही, आपके बारे में सुना है कि आप गरीबो की निस्वार्थ भाव से मदद करते हैं इसलिए मैं आपके पास इलाज करवाने को आया हूँ। डॉक्टर वसीम ने उनकी बात को सुना और उनकी जांच करवाकर इन्हें भर्ती कर लिया। डॉक्टर वसीम ने महेशदास का न सिर्फ निशुल्क हर्निया का ऑपरेशन किया बल्कि उन्हें अपने पास से दवाइयां व खाने-पीने की चीजें भी दी। महेशदास से होश में आते ही डॉक्टर साहब को धन्यवाद दिया। डॉ. वसीम के इस कार्य की चारो ओर प्रशंसा हो रही है।
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यौमे पैदाइश की मुबारकबाद आरिज़: *"यौमे पैदाइश"1,अक्टूबर 2020 के मौके पर आरिज़ अली को तहेदिल से मुबारकबाद* रायबरेली,आज हमारे पौत्र आरिज़ अली पुत्र नौशाद अली के योमे पैदाइश का दिन 1अक्टूबर 2020 है । जिसकी खुशी में उसे तहेदिल से *मुबारकबाद* "हैप्पी बर्थडे" आरिज़ अली । दोस्तो आप सब गुजरीस है के आप उसको अपनी दुवाओ से भी नवाज़े। *हैप्पी बर्थडे* आरिज़ अली....!🎂💐 नायाब अली लखनवी सम्पादक "नायाब टाइम्स" *अस्लामु अलैकुम/शुभप्रभात* हैप्पी गुरुवार
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गुरुनानक देव जयन्ती बधाई: मृत्यु लोक के सभी जीव जंतु पशु पक्षी प्राणियों को स्वस्थ शरीर एवं लम्बी उम्र दे खुदा आज के दिन की *💐🌹*गुरु नानक जयन्ती पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं/लख लख मुबारक।*💐🌹 * हो.. रब से ये दुआ है कि आपके परिवार में खुशियां ही खुशियाँ हो आमीन..! अपने अंदाज में मस्ती से रहा करता हूँ वो साथ हमारे हैं जो कुछ दूर चला करते हैं । हम आज है संजीदा बेग़म साहेबा के साथ.....! *अस्लामु अलैकुम/शुभप्रभात* हैप्पी सोमवार
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मुत्यु लोक का सच:*आचार्य रजनीश* (१) जब मेरी मृत्यु होगी तो आप मेरे रिश्तेदारों से मिलने आएंगे और मुझे पता भी नहीं चलेगा, तो अभी आ जाओ ना मुझ से मिलने। (२) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आप मेरे सारे गुनाह माफ कर देंगे, जिसका मुझे पता भी नहीं चलेगा, तो आज ही माफ कर दो ना। (३) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आप मेरी कद्र करेंगे और मेरे बारे में अच्छी बातें कहेंगे, जिसे मैं नहीं सुन सकूँगा, तो अभी कहे दो ना। (४) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आपको लगेगा कि इस इन्सान के साथ और वक़्त बिताया होता तो अच्छा होता, तो आज ही आओ ना। इसीलिए कहता हूं कि इन्तजार मत करो, इन्तजार करने में कभी कभी बहुत देर हो जाती है। इस लिये मिलते रहो, माफ कर दो, या माफी माँग लो। *मन "ख्वाईशों" मे अटका रहा* *और* *जिन्दगी हमें "जी "कर चली गई.*
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