कोरोना अभियान डॉ०राजशेखर: प्रिय अधिकारी गण और मीडिया फ्रेंड्स गुड इवनिंग - कोरोना वायरस को लेकर आगामी 15 दिनों के अभियान के तहत बस स्टेशनों व बसों के सेनेटाइजेशन एवं यात्रियों को इसके प्रति जागरुक करने के लिए यूपीएसआरटीसी मुख्यालय द्वारा कुल ₹ 60 लाख रुपये (₹ 3 लाख प्रति क्षेत्र या ₹ 50,000 प्रति बस डिपो/ स्टेशन) आवंटित और स्वीकृत किए गए है। एमडी यूपीएसआरटीसी ने आज सुबह 9 बजे कोरोना वायरस के खतरे को रोकने के लिए की जा रही तैयारी और कार्य प्रगति का आकलन करने के उद्देश्य से कैसरबाग बस स्टेशन का दौरा किया। आरएम लखनऊ, एआरएम कैसरबाग भी विजिट में साथ थे। 1- कोरोना महामारी के बारे में एलईडी पर लगातार क्या करें, क्या न करें संबंधी सार्वजनिक उद्घोषणा एवं वीडियो क्लिप चलाई जा रही है, ताकि लोगों को जागरुक किया जा सके। 2- कुछ एलईडी टीवी नॉन फंक्शनल (खराब) पाए गए। एमडी ने एआरएम को निर्देश दिया कि वह अगले दो दिनों में इसे दुरुस्त कराएं और इसका सार्वजनिक जागरूकता के लिए उपयोग करें। 3- सार्वजनिक सूचना के लिए कई स्थानों पर राज्य और यूपीएसआरटीसी के हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित किए गए हैं। 4- सभी रिसेप्शन और पूछताछ काउंटरों पर "हैंड सेनिटाइज़र" (कीटाणुनाशक) उपलब्ध है। यात्रियों से अनुरोध किया जाता है कि जब आवश्यक हो, इसका उपयोग करें। 5- बस स्टेशन, सीटें, बेंच और बाथरूम को लगातार कीटाणुनाशक से साफ किया गया था। 6- लंबे रूट पर चलने वाली और संक्रमित क्षेत्रों को जोड़ने वाली बसों की हैंड रेलिंग को कीटाणुनाशक का स्प्रे कर पोंछकर रोजाना कीटाणुरहित किया जाता है। 7- बड़ी होर्डिंग्स अभी तक उपयुक्त स्थानों पर प्रदर्शित नहीं की गई थी। एमडी यूपीएसआरटीसी ने आरएम को अगले 24 घंटों के भीतर इन्हें लगाने का निर्देश दिया। 8- कोरोना वायरस के फैलने के संबंध में कंडक्टरों और ड्राइवरों को उनकी रोजाना "काउंसलिंग" के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है। 9- एक सक्रिय कदम के रूप में, यूपीएसआरटीसी बस के प्रस्थान से पहले कंडक्टरों द्वारा प्रत्येक बस में कोरोना वायरस के बारे में संक्षिप्त विवरण "अनाउंसमेंट एंड रीडिंग आउट" के एसओपी का अनुसरण कर रहा है। 10- कोरोना वायरस के बारे में "यात्रियों से अपील" और "महत्वपूर्ण जानकारी" के ए-4 साइज के पोस्टर अगले 3 दिनों में प्रत्येक बस में प्रमुखता से प्रदर्शित / चिपकाए जाएंगे। 11- एमडी यूपीएसआरटीसी ने कार्य प्रगति की समीक्षा करने और कोरोना वायरस के प्रसार के खतरे को रोकने के लिए सार्वजनिक जागरूकता में सर्वोत्तम संभव परिणाम सुनिश्चित करने के लिए आज सभी आरएम / एसएमएस / एआरएम के साथ एक महत्वपूर्ण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का आयोजन किया। 12 - यूपीएसआरटीसी मुख्यालय ने अगले 3 दिनों में यात्रियों की जानकारी के लिए सभी बसों में सामान्य सूचना सामग्री चिपकाने का भी आदेश दिया है। 13- यूपीएसआरटीसी मुख्यालय ने सभी बस स्टेशनों, डिपो, कार्यशालाओं के लिए दैनिक खर्च और प्रभावी जागरूकता अभियान के लिए 60 लाख रुपये मंजूर किए हैं। इस फंड का उपयोग बस स्टेशनों, डिपो और डेली क्लीनिंग बस स्टेशनों के लिए डिसइंफेक्टेंट, स्टाफ और पैसेंजर्स के लिए हैंड सैनिटाइज़र की खरीद, डिसिन्फेक्टेंट के साथ बसों की सफाई और हर ऑपरेशनल बस स्टेशन में बड़े होर्डिंग्स, बैनर और पोस्टर प्रदर्शित करने के लिए किया जाएगा। 14- माननीय सीएम महोदय के निर्देशों और माननीय परिवहन मंत्री और माननीय अध्यक्ष परिवहन निगम के मार्गदर्शन में यूपीएसआरटीसी सार्वजनिक जागरूकता और स्वच्छता के माध्यम से कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए वर्तमान परिस्थितियों में सबसे अच्छा संभव प्रयास कर रहा है। 15) MD UPSRTC has Warned all the concerned officers that No Negligency in this regard will be tolerated and will be dealt seriously. -------- धन्यवाद डा. राज शेखर एमडी यूपीएसआरटीसी


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यमदुतिया के दिन: *क्यों कायस्थ 24 घंटे के लिए नही करते कलम का उपयोग* "मुकुल श्रीवास्तव" स्वर्ग लोक से मृत्यु लोक:- जब भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण छुट जाने से नाराज भगवान् चित्रगुप्त ने रख दी थी कलम !!उस समय परेवा काल शुरू हो चुका था "परेवा के दिन कायस्थ समाज कलम का प्रयोग नहीं करते हैं यानी किसी भी तरह का का हिसाब - किताब नही करते है आखिर ऐसा क्यूँ है ?" कि पूरी दुनिया में कायस्थ समाज के लोग दीपावली के दिन पूजन के बाद कलम रख देते है और फिर यमदुतिया के दिन कलम- दवात के पूजन के बाद ही उसे उठाते है I इसको लेकर सर्व समाज में कई सवाल अक्सर लोग कायस्थों से करते है ? ऐसे में अपने ही इतिहास से अनभिग्य कायस्थ युवा पीढ़ी इसका कोई समुचित उत्तर नहीं दे पाती है I जब इसकी खोज की गई तो इससे सम्बंधित एक बहुत रोचक घटना का संदर्भ हमें किवदंतियों में मिला I कहते है जब भगवान् राम दशानन रावण को मार कर अयोध्या लौट रहे थे, तब उनके खडाऊं को राजसिंहासन पर रख कर राज्य चला रहे राजा भरत ने गुरु वशिष्ठ को भगवान् राम के राज्यतिलक के लिए सभी देवी देवताओं को सन्देश भेजने की व्यवस्था करने को कहा I गुरु वशिष्ठ ने ये काम अपने शिष्यों को सौंप कर राज्यतिलक की तैयारी शुरू कर दीं I ऐसे में जब राज्यतिलक में सभी देवीदेवता आ गए तब भगवान् राम ने अपने अनुज भरत से पूछा भगवान चित्रगुप्त नहीं दिखाई दे रहे है इस पर जब खोज बीन हुई तो पता चला की गुरु वशिष्ठ के शिष्यों ने भगवान चित्रगुप्त को निमत्रण पहुंचाया ही नहीं था जिसके चलते भगवान् चित्रगुप्त नहीं आये I इधर भगवान् चित्रगुप्त सब जान चुके थे और इसे प्रभु राम की महिमा समझ रहे थे । फलस्वरूप उन्होंने गुरु वशिष्ठ की इस भूल को अक्षम्य मानते हुए यमलोक में सभी प्राणियों का लेखा जोखा लिखने वाली कलम को उठा कर किनारे रख दिया I सभी देवी देवता जैसे ही राजतिलक से लौटे तो पाया की स्वर्ग और नरक के सारे काम रुक गये थे , प्राणियों का का लेखा जोखा ना लिखे जाने के चलते ये तय कर पाना मुश्किल हो रहा था की किसको कहाँ भेजे I *तब गुरु वशिष्ठ की इस गलती को समझते हुए भगवान राम ने अयोध्या में भगवान् विष्णु द्वारा स्थापित भगवान चित्रगुप्त के मंदिर* (श्री अयोध्या महात्मय में भी इसे श्री धर्म हरि मंदिर कहा गया है धार्मिक मान्यता है कि अयोध्या आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को अनिवार्यत: श्री धर्म-हरि जी के दर्शन करना चाहिये, अन्यथा उसे इस तीर्थ यात्रा का पुण्यफल प्राप्त नहीं होता।) *में गुरु वशिष्ठ के साथ जाकर भगवान चित्रगुप्त की स्तुति की और गुरु वशिष्ठ की गलती के लिए क्षमायाचना की, जिसके बाद भगवान राम के आग्रह मानकर भगवान चित्रगुप्त ने लगभग ४ पहर (२४ घंटे बाद ) पुन: *कलम दवात की पूजा करने के पश्चात उसको उठाया और प्राणियों का लेखा जोखा लिखने का कार्य आरम्भ किया I कहते तभी से कायस्थ दीपावली की पूजा के पश्चात कलम को रख देते हैं और *यमदुतिया के दिन भगवान चित्रगुप्त का विधिवत कलम दवात पूजन करके ही कलम को धारण करते है* कहते है तभी से कायस्थ ब्राह्मणों के लिए भी पूजनीय हुए और इस घटना के पश्चात मिले वरदान के फलस्वरूप सबसे दान लेने वाले ब्राह्मणों से दान लेने का हक़ सिर्फ कायस्थों को ही है............✍ कृत्य:नायाब टाइम्स
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*--1918 में पहली बार इस्तेमाल हुआ ''हिन्दू'' शब्द !--* *तुलसीदास(1511ई०-1623ई०)(सम्वत 1568वि०-1680वि०)ने रामचरित मानस मुगलकाल में लिखी,पर मुगलों की बुराई में एक भी चौपाई नहीं लिखी क्यों ?* *क्या उस समय हिन्दू मुसलमान का मामला नहीं था ?* *हाँ,उस समय हिंदू मुसलमान का मामला नहीं था क्योंकि उस समय हिन्दू नाम का कोई धर्म ही नहीं था।* *तो फिर उस समय कौनसा धर्म था ?* *उस समय ब्राह्मण धर्म था और ब्राह्मण मुगलों के साथ मिलजुल कर रहते थे,यहाँ तक कि आपस में रिश्तेदार बनकर भारत पर राज कर रहे थे,उस समय वर्ण व्यवस्था थी।तब कोई हिन्दू के नाम से नहीं जाति के नाम से पहचाना जाता था।वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य से नीचे शूद्र था सभी अधिकार से वंचित,जिसका कार्य सिर्फ सेवा करना था,मतलब सीधे शब्दों में गुलाम था।* *तो फिर हिन्दू नाम का धर्म कब से आया ?* *ब्राह्मण धर्म का नया नाम हिन्दू तब आया जब वयस्क मताधिकार का मामला आया,जब इंग्लैंड में वयस्क मताधिकार का कानून लागू हुआ और इसको भारत में भी लागू करने की बात हुई।* *इसी पर ब्राह्मण तिलक बोला था,"क्या ये तेली, तम्बोली,कुणभठ संसद में जाकर हल चलायेंगे,तेल बेचेंगे ? इसलिए स्वराज इनका नहीं मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है यानि ब्राह्मणों का। हिन्दू शब्द का प्रयोग पहली बार 1918 में इस्तेमाल किया गया।* *तो ब्राह्मण धर्म खतरे में क्यों पड़ा ?* *क्योंकि भारत में उस समय अँग्रेजों का राज था,वहाँ वयस्क मताधिकार लागू हुआ तो फिर भारत में तो होना ही था।* *ब्राह्मण की संख्या 3.5% हैं,अल्पसंख्यक हैं तो राज कैसे करेंगे ?* *ब्राह्मण धर्म के सारे ग्रंथ शूद्रों के विरोध में,मतलब हक-अधिकार छीनने के लिए,शूद्रों की मानसिकता बदलने के लिए षड़यंत्र का रूप दिया गया।* *आज का OBC ही ब्राह्मण धर्म का शूद्र है। SC (अनुसूचित जाति) के लोगों को तो अछूत घोषित करके वर्ण व्यवस्था से बाहर रखा गया था।* *ST (अनुसूचित जनजाति) के लोग तो जंगलों में थे उनसे ब्राह्मण धर्म को क्या खतरा ? ST को तो विदेशी आर्यों ने सिंधु घाटी सभ्यता संघर्ष के समय से ही जंगलों में जाकर रहने पर मजबूर किया उनको वनवासी कह दिया।* *ब्राह्मणों ने षड़यंत्र से हिन्दू शब्द का इस्तेमाल किया जिससे सबको को समानता का अहसास हो लेकिन ब्राह्मणों ने समाज में व्यवस्था ब्राह्मण धर्म की ही रखी।जिसमें जातियाँ हैं,ये जातियाँ ही ब्राह्मण धर्म का प्राण तत्व हैं, इनके बिना ब्राह्मण का वर्चस्व खत्म हो जायेगा।* *इसलिए तुलसीदास ने मुसलमानों के विरोध में नहीं शूद्रों के विरोध में शूद्रों को गुलाम बनाए रखने के लिए लिखा !* *"ढोल गंवार शूद्र पशु नारी।ये सब ताड़न के अधिकारी।।"* *अब जब मुगल चले गये,देश में OBC-SC के लोग ब्राह्मण धर्म के विरोध में ब्राह्मण धर्म के अन्याय अत्याचार से दुखी होकर इस्लाम अपना लिया था* *तो अब ब्राह्मण अगर मुसलमानों के विरोध में जाकर षड्यंत्र नहीं करेगा तो OBC,ST,SC के लोगों को प्रतिक्रिया से हिन्दू बनाकर,बहुसंख्यक लोगों का हिन्दू के नाम पर ध्रुवीकरण करके अल्पसंख्यक ब्राह्मण बहुसंख्यक बनकर राज कैसे करेगा ?* *52% OBC का भारत पर शासन होना चाहिये था क्योंकि OBC यहाँ पर अधिक तादात में है लेकिन यहीं वर्ग ब्राह्मण का सबसे बड़ा गुलाम भी है। यहीं इस धर्म का सुरक्षाबल बना हुआ है,यदि गलती से भी किसी ने ब्राह्मणवाद के खिलाफ आवाज़ उठाई तो यहीं OBC ब्राह्मणवाद को बचाने आ जाता है और वह आवाज़ हमेशा के लिये खामोश कर दी जाती है।* *यदि भारत में ब्राह्मण शासन व ब्राह्मण राज़ कायम है तो उसका जिम्मेदार केवल और केवल OBC है क्योंकि बिना OBC सपोर्ट के ब्राह्मण यहाँ कुछ नही कर सकता।* *OBC को यह मालूम ही नही कि उसका किस तरह ब्राह्मण उपयोग कर रहा है, साथ ही साथ ST-SC व अल्पसंख्यक लोगों में मूल इतिहास के प्रति अज्ञानता व उनके अन्दर समाया पाखण्ड अंधविश्वास भी कम जिम्मेदार नही है।* *ब्राह्मणों ने आज हिन्दू मुसलमान समस्या देश में इसलिये खड़ी की है कि तथाकथित हिन्दू (OBC,ST,SC) अपने ही धर्म परिवर्तित भाई मुसलमान,ईसाई से लड़ें,मरें क्योंकि दोनों ओर कोई भी मरे फायदा ब्राह्मणों को ही हैं।* *क्या कभी आपने सुना है कि किसी दंगे में कोई ब्राह्मण मरा हो ? जहर घोलनें वाले कभी जहर नहीं पीते हैं।*
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मुत्यु लोक का सच:*आचार्य रजनीश* (१) जब मेरी मृत्यु होगी तो आप मेरे रिश्तेदारों से मिलने आएंगे और मुझे पता भी नहीं चलेगा, तो अभी आ जाओ ना मुझ से मिलने। (२) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आप मेरे सारे गुनाह माफ कर देंगे, जिसका मुझे पता भी नहीं चलेगा, तो आज ही माफ कर दो ना। (३) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आप मेरी कद्र करेंगे और मेरे बारे में अच्छी बातें कहेंगे, जिसे मैं नहीं सुन सकूँगा, तो अभी कहे दो ना। (४) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आपको लगेगा कि इस इन्सान के साथ और वक़्त बिताया होता तो अच्छा होता, तो आज ही आओ ना। इसीलिए कहता हूं कि इन्तजार मत करो, इन्तजार करने में कभी कभी बहुत देर हो जाती है। इस लिये मिलते रहो, माफ कर दो, या माफी माँग लो। *मन "ख्वाईशों" मे अटका रहा* *और* *जिन्दगी हमें "जी "कर चली गई.*
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