योगों की नगरी: *मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल रंग लाई, 30 लाख श्रमिकों को बतौर वेतन मिले 358.46 करोड़ रुपये* "शबाबअली" 'उत्पादन के साथ *लॉकडाउन* का भी अनुपालन करा रही हैं औद्योगिक इकाईयां" लखनऊ,"लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों का वेतन मानदेय न रोका जाय।' मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बार-बार औद्योगिक इकाईयों के प्रबंधन से यह अपील की थी। उनकी अपील पर सरकारी अमला सक्रिय हुआ। उसने हर इकाई से इसके लिए निजी रूप से संपर्क किया। नतीजन अब तक करीब 28 हजार इकाईयां 30 लाख से अधिक श्रमिकों को बतौर वेतन मानदेय 358.46 करोड़ रुपये दे चुकीं हैं। यही नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी घोषणा की थी कि किसी को भी दवा और रोजमर्रा की वस्तुओं की किल्लत नहीं होगी। जहां जरूरत होगी सरकार आवश्यक वस्तुओं को लोगों के घर तक पहुंचाएगी। मुख्यमंत्री की इस घोषणा को प्राथमिकता के आधार पर प्रभावी तरीके से अमल कराया जा रहा है। इसमें भी औद्योगिक इकाइयों के प्रबंधन से भी भरपूर मदद मिल रही है। *46 हजार से अधिक इकाइयों के कैंपस में श्रमिकों के रहने का बंदोबस्त* उल्लेखनीय है कि कोरोना के संक्रमण को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है, सोशल डिस्टेंसिंग। इसका अनुपालन तभी संभव है जब लोगों का एक से दूसरी जगह मूवमेंट जहां तक संभव हो न्यूनतम हो। लॉकडाउन और सील का मकसद भी यही है। इन हालातों में औद्योगिक इकाईयों के संचालन के लिए मानव संसाधन सबसे बड़ी समस्या थी। सरकार की मंशा थी कि इकाईयां अपने परिसर में ही कर्मचारियों को रोककर उनके रहने-खाने की व्यवस्था करें और सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करें। ऐसा हो भी रहा है। 46 हजार से अधिक इकाइयों ने ऐसा किया है। *मास्क, सेनिटाइजर, पीपीई और दवाइयों की उपलब्धता सर्वोच्च प्राथमिकता* सरकार की प्राथमिकता में सबसे ऊपर कोरोना के संक्रमण को रोकने और ईलाज में काम आने वाली सुरक्षा की वस्तुएं हैं। इनमें सूती कपड़े के तीन लेयर वाले मास्क, सेनिटाइजर, चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ के लिए एन-95 मास्क, पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) आदि हैं। सरकार लगातार इनकी उपलब्धता की निगरानी कर रही है। प्रयास यह है कि इन सबकी आपूर्ति प्रदेश की इकाईयों से ही हो। इस क्रम में सेनिटाइजर की 40 नई इकाइयों को जरूरी मंजूरी देने के साथ 99 इकाईयों को क्रियाशील कराया गया है। करीब पांच दर्जन इकाईयां पीपीई, मास्क और अन्य उपयोगी मेडिकल उपकरण बना रही हैं। दवा और उपकरण बनाने वाली ऐसी 61 कंपनियों को ड्रग लाइसेंस जारी किये गये हैं। इस तरह की 412 इकाईयों को जरूरी सहयोग देकर इस दौरान संचालित कराया गया है। *दाल, तेल और आंटे की भी चिंता* आटा, दाल और तेल जैसी रोजमर्रा की जरूरत वाली वस्तुओं की किल्लत न हो इस पर भी सरकार की पैनी नजर है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में हाल के दौरान 905 फ्लोर मिलें आटा चक्की, 432 तेल और 229 दाल मिलों को क्रियाशील कराया गया है। हर इकाई से विभाग निजी संपर्क में है। कच्चे माल से लेकर, श्रम और आपूर्ति तक की हर समस्या का तुरंत समाधान किया जा रहा है। कृत्य:नायाब टाइम्स


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हैप्पी बर्थडे राधा विष्ट जी: *यौमे पैदाइश की पुरखुलूस मुबारकबाद राधा विष्ट साहेबा को जो "कोरोना वाररिर्स" महामारी के माहौल में जनता की सेवा में सदैव हैं* लखनऊ, *यौमे पैदाइश की पुरजोर मुबारकबाद* राधा बिष्ट डॉ० "फार्मेसिस्ट" प्रभारी राजकीय होम्योपैथी चिकित्सालय (सदर) कैनाल भवन परिसर कैण्ट रोड लखनऊ को हमारी रब से दुआ है कि वो सदैव इस जहांन में लम्बी आयु के साथ सपरिवार स्वस्थ रहे। जो कोरोना वाररिर्स महामारी के माहौल में जनता की सेवा में रहा करती हैं और कोविड-19 से बचाव की दवाओ के साथ साथ कुछ क्षेत्रीय जटिल रोगों की भी दवाओं को परेशान जनता को साथ साथ पर्वत सन्देश के मोहन चन्द्र जोशी "सम्पादक" जानकी पुरम लखनऊ (उ०प्र०) निवासी दवाए प्राप्त करते हुए उनके साथ मनोज कुमार हैं । राधा बिष्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि चिकित्सालय में आनेवाले मरीज़ो को सदैव उनकी समस्या का निराकरण कर उन्हें उचित परामर्श एवं अनुभव के आधार पर दवाए उपलब्ध चिकित्सालय में कराती हैं "हैप्पी बर्थडे राधा विष्ट" जी । कृत्य:नायाब टाइम्स
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यौमे पैदाइश की मुबारकबाद आरिज़: *"यौमे पैदाइश"1,अक्टूबर 2020 के मौके पर आरिज़ अली को तहेदिल से मुबारकबाद* रायबरेली,आज हमारे पौत्र आरिज़ अली पुत्र नौशाद अली के योमे पैदाइश का दिन 1अक्टूबर 2020 है । जिसकी खुशी में उसे तहेदिल से *मुबारकबाद* "हैप्पी बर्थडे" आरिज़ अली । दोस्तो आप सब गुजरीस है के आप उसको अपनी दुवाओ से भी नवाज़े। *हैप्पी बर्थडे* आरिज़ अली....!🎂💐 नायाब अली लखनवी सम्पादक "नायाब टाइम्स" *अस्लामु अलैकुम/शुभप्रभात* हैप्पी गुरुवार
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प०राम प्रसाद बिस्मिल जी हज़रो नमन: *“सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है” : कब और कैसे लिखा राम प्रसाद बिस्मिल ने यह गीत!* राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ का नाम कौन नहीं जानता। बिस्मिल, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें 30 वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षडयंत्र व काकोरी-कांड जैसी कई घटनाओं मे शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। भारत की आजादी की नींव रखने वाले राम प्रसाद जितने वीर, स्वतंत्रता सेनानी थे उतने ही भावुक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू उपनाम था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है ‘गहरी चोट खाया हुआ व्यक्ति’। बिस्मिल के अलावा वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। *राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ की तरह अशफ़ाक उल्ला खाँ भी बहुत अच्छे शायर थे। एक रोज का वाकया है अशफ़ाक, आर्य समाज मन्दिर शाहजहाँपुर में बिस्मिल के पास किसी काम से गये। संयोग से उस समय अशफ़ाक जिगर मुरादाबादी की यह गजल गुनगुना रहे थे* “कौन जाने ये तमन्ना इश्क की मंजिल में है। जो तमन्ना दिल से निकली फिर जो देखा दिल में है।।” बिस्मिल यह शेर सुनकर मुस्करा दिये तो अशफ़ाक ने पूछ ही लिया- “क्यों राम भाई! मैंने मिसरा कुछ गलत कह दिया क्या?” इस पर बिस्मिल ने जबाब दिया- “नहीं मेरे कृष्ण कन्हैया! यह बात नहीं। मैं जिगर साहब की बहुत इज्जत करता हूँ मगर उन्होंने मिर्ज़ा गालिब की पुरानी जमीन पर घिसा पिटा शेर कहकर कौन-सा बड़ा तीर मार लिया। कोई नयी रंगत देते तो मैं भी इरशाद कहता।” अशफ़ाक को बिस्मिल की यह बात जँची नहीं; उन्होंने चुनौती भरे लहजे में कहा- “तो राम भाई! अब आप ही इसमें गिरह लगाइये, मैं मान जाऊँगा आपकी सोच जिगर और मिर्ज़ा गालिब से भी परले दर्जे की है।” *उसी वक्त पंडित राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ ने यह शेर कहा* “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। देखना है जोर कितना बाजु-कातिल में है?” यह सुनते ही अशफ़ाक उछल पड़े और बिस्मिल को गले लगा के बोले- “राम भाई! मान गये; आप तो उस्तादों के भी उस्ताद हैं।” आगे जाकर बिस्मिल की यह गज़ल सभी क्रान्तिकारी जेल से पुलिस की गाड़ी में अदालत जाते हुए, अदालत में मजिस्ट्रेट को चिढ़ाते हुए और अदालत से लौटकर वापस जेल आते हुए एक साथ गाया करते थे। बिस्मिल की शहादत के बाद उनका यह गीत क्रान्तिकारियों के लिए मंत्र बन गया था। न जाने कितने क्रांतिकारी इसे गाते हुए हँसते-हँसते फांसी पर चढ़ गए थे। पढ़िए राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा लिखा गया देशभक्ति से ओतप्रोत यह गीत – सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है? वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आस्माँ! हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है? एक से करता नहीं क्यों दूसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है। रहबरे-राहे-मुहब्बत! रह न जाना राह में, लज्जते-सेहरा-नवर्दी दूरि-ए-मंजिल में है। अब न अगले वल्वले हैं और न अरमानों की भीड़, एक मिट जाने की हसरत अब दिले-‘बिस्मिल’ में है । ए शहीद-ए-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफ़िल में है। खींच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद, आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है। सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है? है लिये हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर, और हम तैयार हैं सीना लिये अपना इधर। खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। हाथ जिनमें हो जुनूँ , कटते नही तलवार से, सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से, और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है , सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। हम तो निकले ही थे घर से बाँधकर सर पे कफ़न, जाँ हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम। जिन्दगी तो अपनी महमाँ मौत की महफ़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। यूँ खड़ा मकतल में कातिल कह रहा है बार-बार, “क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?” सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है? दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब, होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज। दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है! सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। जिस्म वो क्या जिस्म है जिसमें न हो खूने-जुनूँ, क्या वो तूफाँ से लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है। सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है। पं० राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ उनके इस लोकप्रिय गीत के अलावा ग्यारह वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में बिस्मिल ने कई पुस्तकें भी लिखीं। जिनमें से ग्यारह पुस्तकें ही उनके जीवन काल में प्रकाशित हो सकीं। ब्रिटिश राज में उन सभी पुस्तकों को ज़ब्त कर लिया गया था। पर स्वतंत्र भारत में काफी खोज-बीन के पश्चात् उनकी लिखी हुई प्रामाणिक पुस्तकें इस समय पुस्तकालयों में उपलब्ध हैं। 16 दिसम्बर 1927 को बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा का आखिरी अध्याय (अन्तिम समय की बातें) पूर्ण करके जेल से बाहर भिजवा दिया। 18 दिसम्बर 1927 को माता-पिता से अन्तिम मुलाकात की और सोमवार 19 दिसम्बर 1927 को सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर गोरखपुर की जिला जेल में उन्हें फाँसी दे दी गयी। राम प्रसाद बिस्मिल और उनके जैसे लाखो क्रांतिकारियों के बलिदान का देश सद्येव ऋणी रहेगा! जय हिन्द !
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उ०प्र०परिवहन निगम में काबिले तारीफ़ अधिकारी:: *परिवहन मंत्री सहित निगम के तेजतर्रार अधिकारियों ने कड़ी मेहनत कर रोडवेज में लगाये चार चाँद* *लखनऊ* परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक डॉ० राजशेखर जी को पिछले हफ्ते पुणे आयोजित एक कार्यक्रम में उ०प्र०परि० निगम में अच्छे I.T. संसाधनों,यात्रियों के लिए बेहतर से बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए अवार्ड दिया गया था,M.D.UPSRTC डॉ० राजशेखर जी IAS के अनुसार उनकी तेजतर्रार टीम श्री राधेश्याम IAS(अपर प्रबंध निदेशक), राजेश वर्मा (महाप्रबंधक संचालन),Ashutosh Gaur Staff Officer, पल्लव बोस (क्षेत्रीय प्रबंधक लखनऊ क्षेत्र), स्वेता सिंह (स०क्षे०प्र०), अमर नाथ सहाय (स०क्षे०प्र०), अंबरीन अख्तर (स०क्षे०प्र०), कैलाश राम (स०क्षे०प्र०), देवेंद्र कुमार (स०क्षे०प्र०), ताजदार हुसैन (स०क्षे०प्र०), गौरव कुमार (स०क्षे०प्र०),अनवर अंजार (जनसंपर्क अधिकरी), नीरज एआरएम (niji sachiv प्रबन्ध निदेशक) के सहयोग एवं manniya अशोक कटारिया ji परिवहन मंत्री,परिवहन निगम के अध्यक्ष श्री संजीव सरन Sr IASव प्रमुख सचिव परिवहन अरविंद कुमार Sr IAS के कुशल नेतृत्व की वजह से संभव हुआ। *कृत्य: नायाब टाइम्स*
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गुरुनानक देव जयन्ती बधाई: मृत्यु लोक के सभी जीव जंतु पशु पक्षी प्राणियों को स्वस्थ शरीर एवं लम्बी उम्र दे खुदा आज के दिन की *💐🌹*गुरु नानक जयन्ती पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं/लख लख मुबारक।*💐🌹 * हो.. रब से ये दुआ है कि आपके परिवार में खुशियां ही खुशियाँ हो आमीन..! अपने अंदाज में मस्ती से रहा करता हूँ वो साथ हमारे हैं जो कुछ दूर चला करते हैं । हम आज है संजीदा बेग़म साहेबा के साथ.....! *अस्लामु अलैकुम/शुभप्रभात* हैप्पी सोमवार
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