अज़ीज़ अहमद का कार्य: *अवध बेकरी एण्ड फेमिली मार्केट में कल से मिलेगा हर सामान सस्ता-अज़ीज़ अहमद* लखनऊ,थाना कोतवाली सहादत गंज लखनऊ क्षेत्र की अवध बेकरी एण्ड फेमिली मार्केट कैम्पवेल रोड (बाजपेयी मिष्ठान भण्डार) में हर घरेलू इस्तेमाल का सामान सस्ता मिलेगा।ये बात अवध बेकरी एण्ड फैमिली मार्केट के प्रोपराइटर अज़ीज़ अहमद ने एक अनोपचारिक भेंट जानकारी देते हुए बताई और कहा बच्चों खिलौने गिफ़्ट पैक एवं खाने का राशन,नास्ते की चीजें युवाओं व युवतियों के मेकअप आदि इस्तेमाल के सामान भी महिलाओं के उपलब्ध हैं। मार्केट के मालिक फरीद अहमद ने बताया ग्राहकों की सेवा के अच्छे सेल्समैन शॉप में प्रातः10 बजे से रात 9 बजे तक सेवाएं शॉप खुलने तक देते हैं अज़ीज़ अहमद ने ग्राहकों से गुजारिश की है कि उन्हें भी सेवा का मौका दे। कृत्य:नायाब टाइम्स


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यौमे पैदाइश की मुबारकबाद आरिज़: *"यौमे पैदाइश"1,अक्टूबर 2020 के मौके पर आरिज़ अली को तहेदिल से मुबारकबाद* रायबरेली,आज हमारे पौत्र आरिज़ अली पुत्र नौशाद अली के योमे पैदाइश का दिन 1अक्टूबर 2020 है । जिसकी खुशी में उसे तहेदिल से *मुबारकबाद* "हैप्पी बर्थडे" आरिज़ अली । दोस्तो आप सब गुजरीस है के आप उसको अपनी दुवाओ से भी नवाज़े। *हैप्पी बर्थडे* आरिज़ अली....!🎂💐 नायाब अली लखनवी सम्पादक "नायाब टाइम्स" *अस्लामु अलैकुम/शुभप्रभात* हैप्पी गुरुवार
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गुरुनानक देव जयन्ती बधाई: मृत्यु लोक के सभी जीव जंतु पशु पक्षी प्राणियों को स्वस्थ शरीर एवं लम्बी उम्र दे खुदा आज के दिन की *💐🌹*गुरु नानक जयन्ती पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं/लख लख मुबारक।*💐🌹 * हो.. रब से ये दुआ है कि आपके परिवार में खुशियां ही खुशियाँ हो आमीन..! अपने अंदाज में मस्ती से रहा करता हूँ वो साथ हमारे हैं जो कुछ दूर चला करते हैं । हम आज है संजीदा बेग़म साहेबा के साथ.....! *अस्लामु अलैकुम/शुभप्रभात* हैप्पी सोमवार
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मुत्यु लोक का सच:*आचार्य रजनीश* (१) जब मेरी मृत्यु होगी तो आप मेरे रिश्तेदारों से मिलने आएंगे और मुझे पता भी नहीं चलेगा, तो अभी आ जाओ ना मुझ से मिलने। (२) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आप मेरे सारे गुनाह माफ कर देंगे, जिसका मुझे पता भी नहीं चलेगा, तो आज ही माफ कर दो ना। (३) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आप मेरी कद्र करेंगे और मेरे बारे में अच्छी बातें कहेंगे, जिसे मैं नहीं सुन सकूँगा, तो अभी कहे दो ना। (४) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आपको लगेगा कि इस इन्सान के साथ और वक़्त बिताया होता तो अच्छा होता, तो आज ही आओ ना। इसीलिए कहता हूं कि इन्तजार मत करो, इन्तजार करने में कभी कभी बहुत देर हो जाती है। इस लिये मिलते रहो, माफ कर दो, या माफी माँग लो। *मन "ख्वाईशों" मे अटका रहा* *और* *जिन्दगी हमें "जी "कर चली गई.*
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