कुकर्मी ब्रजेश ठाकुर: please पुरा पढ़ें.... ⁃ आंटी कहती थी ‘कीड़े की दवाई’ है और खाना में मिला कर देती थी. दवा खाते ही नींद आने लगती थी. सुबह को जब आँख खुलती थी तो हमारे कपड़े फ़र्श पर फेंके हुए दिखते थे. हम नंगे होते थे बिस्तर पर. ⁃ ब्रजेश अंकल हम को अपने ऑफ़िस में ले जाते थे. वहाँ जा कर हमारे प्राइवेट पार्ट को इतने ज़ोर से स्क्रैच करते थे कि ख़ून निकल आता था. ⁃ खाना खिला कर हमें ब्रजेश अंकल के रूम में ज़बरदस्ती भेजा जाता था. वहाँ रात को कोई मेहमान आने वाला होता था. ⁃ जब हम गन्दा काम (सेक्स) के लिए मना करते थे तो हमारे पेट पर आंटी लात से मारती थी. ⁃ हमें कई रोज़ भूखा रखा जाता था. खाना माँगने पर गर्म तेल और गर्म पानी हम पर फेंक देती थी आंटी. ऊपर लिखी बातें किसी कहानी का हिस्सा नहीं है. ये मुज़फ़्फ़रपुर के ‘सेवा संकल्प बालिका गृह’ में हुए बलात्कार पीड़िता बच्चियों ने अपने टेस्टिमोनी में कहा है. जिन बच्चियों ने बातें कहीं हैं उनकी उम्र सात से दस साल के बीच है. मैं सोच नहीं पा रही हूँ कि वो बच्चियाँ जो माँ-बाप से बिछड़ गयी या जो अनाथ हैं, उन्हें आप एक सुरक्षित माहौल देने का वादा कर एक घर में ले आते हैं और फिर उनका बलात्कार. छी! और बलात्कार भी कहाँ हो रहा था? एक ऐसे कैंपस में जिसके बग़ल से क्रांति के ‘प्रातःकमल’ अख़बार छप कर निकल रहा है. बलात्कार कर कौन रहा था? ‘प्रातः कमल’ का मालिक ब्रजेश ठाकुर. कौन हैं ये ब्रजेश ठाकुर आइए आपको इनके बारे में थोड़ा डिटेल से बताते हैं. आदरणीय ब्रजेश ठाकुर जी मालिक हैं, हिंदी अख़बार ‘प्रातःकमल’ उर्दू अख़बार ‘हालात-ए-बिहार’ और अंग्रेज़ी अख़बार ‘न्यूज़ नेक्स्ट’ के. इसके अलावा वो समाज सेवा के लिए लड़कियों और महिलाओं के उत्थान के लिए पाँच ‘शेल्टर होम’ चलाते हैं. जिसके लिए उन्हें एक करोड़ रुपए की अनुदान राशि मिलती है. जिसमें से मुज़फ़्फ़रपुर शॉर्ट स्टे होम के लिए उन्हें 40 लाख अलग से मिलता है. इतना ही नहीं ठाकुर जी एक वृद्धाश्रम भी चलाते हैं जिसके लिए 15 लाख सरकार की तरफ़ से मिलता है. और ‘सेल्फ़ हेल्प कम रहबिटेशन’ के नाम पर 32लाख ऊपर से और. अब आप ख़ुद ही अंदाज़ा लगाइए कि ऐसे रसूखदार आदमी के सामने किसी की भी हिम्मत है कि वो एक शब्द भी बोल सके. बालिका गृह के आस-पास रहने वाले लोग बोलते है कि उन्हें बालिका गृह के अंदर से चीख़ने-रोने की आवाज़ें आती थी. मगर ब्रजेश ठाकुर के रौब के आगे वो कुछ पूछने तक की हिमाक़त नहीं कर सकते थे. ब्रजेश ठाकुर के पहुँच का अंदाज़ा इसी से लगा लीजिए कि अभी उसका ये बालिका गृह सील हुआ है और अभी ही ‘भिखारियों के शेल्टर होम’ के लिए सरकार की तरफ़ से उसे टेंडर मिला है. जिसके तहत हर महीने उसे एक लाख रुपय मिलेंगे. मेरे इस लेख लिखने का कोई फ़ायदा नहीं है. मैं जानती हूँ. क्यूँ? क्यूँकि जिनको ब्रजेश ठाकुर जैसे दरिंदे के ख़िलाफ़ करवाई करनी चाहिए वो तो उसके गोद में जा बैठे हैं. ऊपर फ़ोटो देखिये। जब police arrest करके ले जा रही तो कैसे हंस रहा है। पता है वो किस पर हंस रहा है?? आप पर और हम सब पर।।।।। वैसे भी किसको पड़ी है उन अनाथ लड़कियों की. देश में हर दिन हज़ारों बलात्कार होते हैं. क्या हुआ जो 34 और लड़कियों का हो गया. कम से कम वो ज़िंदा तो है. मै लेखक लिखने वाला अपनी जिम्मेदारी निभाई अब बारी है आपकी अगर हम इस घटना पर चुप बैठे रहे, इन बच्चियों को इंसाफ़ दिलाने के लिये अपने हिस्से की भी कोशिश न कर सके तो हमारा इंसान होना व्यर्थ है.. जहाँ भी हैं बाहर निकलिए सड़कों पर, नहीं निकल सकते तो फेसबुक व्हाट्सएप पर लगातार इस मुद्दे को उठाईये. सरकार तक अपनी आवाज़ पहुंचाईये, सवाल पूँछिये, जवाब मांगिये।।। या फिर इंतजार कीजिए जब आपके घर की बहु बेटियों के साथ जब ये दरिंदगी होगा तब सड़क पर उतारियेगा।।। please share and comment..... don't like.... #TheRealLife
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हैप्पी बर्थडे राधा विष्ट जी: *यौमे पैदाइश की पुरखुलूस मुबारकबाद राधा विष्ट साहेबा को जो "कोरोना वाररिर्स" महामारी के माहौल में जनता की सेवा में सदैव हैं* लखनऊ, *यौमे पैदाइश की पुरजोर मुबारकबाद* राधा बिष्ट डॉ० "फार्मेसिस्ट" प्रभारी राजकीय होम्योपैथी चिकित्सालय (सदर) कैनाल भवन परिसर कैण्ट रोड लखनऊ को हमारी रब से दुआ है कि वो सदैव इस जहांन में लम्बी आयु के साथ सपरिवार स्वस्थ रहे। जो कोरोना वाररिर्स महामारी के माहौल में जनता की सेवा में रहा करती हैं और कोविड-19 से बचाव की दवाओ के साथ साथ कुछ क्षेत्रीय जटिल रोगों की भी दवाओं को परेशान जनता को साथ साथ पर्वत सन्देश के मोहन चन्द्र जोशी "सम्पादक" जानकी पुरम लखनऊ (उ०प्र०) निवासी दवाए प्राप्त करते हुए उनके साथ मनोज कुमार हैं । राधा बिष्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि चिकित्सालय में आनेवाले मरीज़ो को सदैव उनकी समस्या का निराकरण कर उन्हें उचित परामर्श एवं अनुभव के आधार पर दवाए उपलब्ध चिकित्सालय में कराती हैं "हैप्पी बर्थडे राधा विष्ट" जी । कृत्य:नायाब टाइम्स
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प०राम प्रसाद बिस्मिल जी हज़रो नमन: *“सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है” : कब और कैसे लिखा राम प्रसाद बिस्मिल ने यह गीत!* राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ का नाम कौन नहीं जानता। बिस्मिल, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें 30 वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षडयंत्र व काकोरी-कांड जैसी कई घटनाओं मे शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। भारत की आजादी की नींव रखने वाले राम प्रसाद जितने वीर, स्वतंत्रता सेनानी थे उतने ही भावुक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू उपनाम था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है ‘गहरी चोट खाया हुआ व्यक्ति’। बिस्मिल के अलावा वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। *राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ की तरह अशफ़ाक उल्ला खाँ भी बहुत अच्छे शायर थे। एक रोज का वाकया है अशफ़ाक, आर्य समाज मन्दिर शाहजहाँपुर में बिस्मिल के पास किसी काम से गये। संयोग से उस समय अशफ़ाक जिगर मुरादाबादी की यह गजल गुनगुना रहे थे* “कौन जाने ये तमन्ना इश्क की मंजिल में है। जो तमन्ना दिल से निकली फिर जो देखा दिल में है।।” बिस्मिल यह शेर सुनकर मुस्करा दिये तो अशफ़ाक ने पूछ ही लिया- “क्यों राम भाई! मैंने मिसरा कुछ गलत कह दिया क्या?” इस पर बिस्मिल ने जबाब दिया- “नहीं मेरे कृष्ण कन्हैया! यह बात नहीं। मैं जिगर साहब की बहुत इज्जत करता हूँ मगर उन्होंने मिर्ज़ा गालिब की पुरानी जमीन पर घिसा पिटा शेर कहकर कौन-सा बड़ा तीर मार लिया। कोई नयी रंगत देते तो मैं भी इरशाद कहता।” अशफ़ाक को बिस्मिल की यह बात जँची नहीं; उन्होंने चुनौती भरे लहजे में कहा- “तो राम भाई! अब आप ही इसमें गिरह लगाइये, मैं मान जाऊँगा आपकी सोच जिगर और मिर्ज़ा गालिब से भी परले दर्जे की है।” *उसी वक्त पंडित राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ ने यह शेर कहा* “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। देखना है जोर कितना बाजु-कातिल में है?” यह सुनते ही अशफ़ाक उछल पड़े और बिस्मिल को गले लगा के बोले- “राम भाई! मान गये; आप तो उस्तादों के भी उस्ताद हैं।” आगे जाकर बिस्मिल की यह गज़ल सभी क्रान्तिकारी जेल से पुलिस की गाड़ी में अदालत जाते हुए, अदालत में मजिस्ट्रेट को चिढ़ाते हुए और अदालत से लौटकर वापस जेल आते हुए एक साथ गाया करते थे। बिस्मिल की शहादत के बाद उनका यह गीत क्रान्तिकारियों के लिए मंत्र बन गया था। न जाने कितने क्रांतिकारी इसे गाते हुए हँसते-हँसते फांसी पर चढ़ गए थे। पढ़िए राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा लिखा गया देशभक्ति से ओतप्रोत यह गीत – सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है? वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आस्माँ! हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है? एक से करता नहीं क्यों दूसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है। रहबरे-राहे-मुहब्बत! रह न जाना राह में, लज्जते-सेहरा-नवर्दी दूरि-ए-मंजिल में है। अब न अगले वल्वले हैं और न अरमानों की भीड़, एक मिट जाने की हसरत अब दिले-‘बिस्मिल’ में है । ए शहीद-ए-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफ़िल में है। खींच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद, आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है। सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है? है लिये हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर, और हम तैयार हैं सीना लिये अपना इधर। खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। हाथ जिनमें हो जुनूँ , कटते नही तलवार से, सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से, और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है , सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। हम तो निकले ही थे घर से बाँधकर सर पे कफ़न, जाँ हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम। जिन्दगी तो अपनी महमाँ मौत की महफ़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। यूँ खड़ा मकतल में कातिल कह रहा है बार-बार, “क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?” सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है? दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब, होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज। दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है! सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। जिस्म वो क्या जिस्म है जिसमें न हो खूने-जुनूँ, क्या वो तूफाँ से लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है। सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है। पं० राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ उनके इस लोकप्रिय गीत के अलावा ग्यारह वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में बिस्मिल ने कई पुस्तकें भी लिखीं। जिनमें से ग्यारह पुस्तकें ही उनके जीवन काल में प्रकाशित हो सकीं। ब्रिटिश राज में उन सभी पुस्तकों को ज़ब्त कर लिया गया था। पर स्वतंत्र भारत में काफी खोज-बीन के पश्चात् उनकी लिखी हुई प्रामाणिक पुस्तकें इस समय पुस्तकालयों में उपलब्ध हैं। 16 दिसम्बर 1927 को बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा का आखिरी अध्याय (अन्तिम समय की बातें) पूर्ण करके जेल से बाहर भिजवा दिया। 18 दिसम्बर 1927 को माता-पिता से अन्तिम मुलाकात की और सोमवार 19 दिसम्बर 1927 को सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर गोरखपुर की जिला जेल में उन्हें फाँसी दे दी गयी। राम प्रसाद बिस्मिल और उनके जैसे लाखो क्रांतिकारियों के बलिदान का देश सद्येव ऋणी रहेगा! जय हिन्द !
• नायाब अली
स्पोर्ट्समैन जाफ़र के सम्मान में क्रिकेट मैच: *जाफ़र मेहदी वरिष्ठ केन्द्र प्रभारी कैसरबाग डिपो कल 30 नवम्बर 2020 सोमवार को सेवानिवृत्त हो जाएगे उनके सम्मान में क्रिकेट मैच परिवहन निगम ने आयोजित किया* लखनऊ, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के स्पोर्ट्समैन जाफ़र मेहंदी जो 30 नवम्बर 2020 को सेवानिवृत्त हो जाएंगे को "मुख्य महाप्रबंधक प्रशासन" सन्तोष कुमार दूबे "वरि०पी०सी०एस०" द्वारा उनके सम्मान में क्रिकेट मैच आयोजित कर उनका सम्मान किया जायेगा , जिसमें एहम किरदार पी०आर०बेलवारिया "मुख्य महाप्रबंधक "संचालन" व पल्लव बोस क्षेत्रीय प्रबन्धक-लखनऊ एवं प्रशांत दीक्षित "प्रभारी स०क्षे०प्रबन्धक" हैं जो * अवध बस स्टेशन कमता लखनऊ* के पद पर तैनात हैं , इस समय *कैसरबाग डिपो* के भी "प्रभारी स०क्षे०प्र०" हैं। कैसरबाग डिपो के वरिष्ठ केन्द्र प्रभारी जाफ़र मेहदी साहब दिनाँक,30 नवम्बर 2020 को कल सेवानिवृत्त हो जायेगे। जाफ़र मेहदी साहब की भर्ती स्पोर्ट्स कोटा के तहत 1987 में परिवहन निगम में हुई थी। जो पछले तीन सालो से दो धारी तलवार के चपेट कि मार झेल रहे थे अब आज़ादी उनके हाथ लगी मेंहदी साहब नायाब ही नहीं तारीफे काबिल हैं उनकी जितनी भी बड़ाई की जाय कम हैl कृत्य:नायाब टाइम्स
• नायाब अली
जिला मजिस्ट्रेट रायबरेली का आदेश: *रायबरेली का फातिमा मस्जिद क्षेत्र और बछरावां हाटस्पाट घोषित* रायबरेली। रायबरेली जिले में आज एक साथ 33 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने से अफरा तफरी का माहौल पैदा हो गया है।एहतियात के तौर पर शहर के फातिमा मस्जिद क्षेत्र को और बछरावा क्षेत्र को हॉटस्पॉट घोषित कर सील कर दिया गया है। डीएम शुभ्रा सक्सेना ने बताया कि जिले में आज मिले कुल 33 कोरोना मरीजों में 16 सहारनपुर जिले के हैं। जिन्हे कृपालु इंस्टिट्यूट में पूर्व में क्वारैंनटाइन किया गया था। इनका ब्लड सैंपल एसजीपीजीआई लखनऊ भेजा गया था जिसकी रिपोर्ट पाजिटिव आई है। इसके अलावा रायबरेली निवासी 17 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आई है। रायबरेली के पाजिटिव लोगों में 7 कोतवाली रायबरेली के निवासी हैं तो बछरावां का 5, नसीराबाद कोतवाली क्षेत्र का 1, रोहनिया थाना क्षेत्र के 2, व दो अन्य थाना क्षेत्रो के हैं। इनमे से कुछ को पूर्व में शहर की फातिमा मस्जिद से पकड़कर कृपालु इंस्टिट्यूट में क्वरैनटाइन किया गया था और कुछ को बछरावां कोतवाली क्षेत्र के कस्बे में एक घर से। इनमें से कई दिल्ली के निजामुद्दीन से जमात कर बस्ती जिले से होकर यहां आए थे।
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जाफ़र मेहंदी की बल्ले बल्ले: * परिवहन निगम के वरिष्ठ खिलाड़ी जाफर मेंहदी के सम्मान में एक मैत्री मैच का आयोजन किया गया। मैच के मुख्य अतिथि एस के दुबे "मुख्य प्रधान प्रबन्धक प्रशासन"* लखनऊ,आज दिनांक 29 नवम्बर 2020 को कॉल्विन क्रिकेट ग्राउंड पर परिवहन निगम के वरिष्ठ खिलाड़ी जाफर मेंहदी के सम्मान में एक मैत्री मैच का आयोजन किया गया । इस मैच के मुख्य अतिथि एस के दुबे (मुख्य प्रधान प्रबंधक प्रशासन) थे । मुख्य प्रधान प्रबंधक प्राविधिक जयदीप वर्मा एवं प्रधान प्रबंधक संचालक सुनील प्रसाद भी मौजूद रहे । इस मैच में परिवहन निगम मुख्यालय ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग करते हुए योगेंद्र सेठ की 79 रन की शानदार पारी की बदौलत 20 ओवर में 141 रन बनाए । जवाब में खेलने उतरी कैसरबाग डिपो की टीम ने सुनील मिश्रा के नाबाद 51 व नितेश श्रीवास्तव के 25 रन की बदौलत 19.4 ओवरों में लक्ष्य हासिल कर लिया । मुख्यालय की तरफ से मनोज श्रीवास्तव ने दो व जयदीप वर्मा ने एक विकेट लिया । कैसरबाग की तरफ से रजनीश मिश्रा ने 4 ओवरों में 17 रन देकर एक विकेट , नितेश श्रीवास्तव ने एक विकेट लिया । अंत में प्रधान प्रबंधक प्रशासन ने *जाफर मेहंदी* को सम्मानित किया । *योगेंद्र सेठ* को मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया । मुख्यालय की तरफ से टीम का नेतृत्व जयदीप वर्मा व कैसरबाग डिपो की तरफ से टीम का नेतृत्व शशिकांत सिंह ने किया । कृत्य:नायाब टाइम्स
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