जिला मजिस्ट्रेट रायबरेली ने विचार वयक्त: *"डीएम गांधी जी के चित्र व लालबहादुर शास्त्री के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए, गांधी जयंती को सम्बोधित करते हुए" "गांधी जी की 151वीं जयन्ती पर कहा सादा जीवन उच्च विचार अपनाकर आगे बढ़ना है:" "सत्य के आगे जीत है, सत्य को बनाएं जिन्दगी का आधार: वैभव श्रीवास्तव" "गांधी जी ने सत्य अहिंसा का नारा ही नहीं दिया बल्कि उस पर अमल भी किया: डीएम"* रायबरेली, 02 अक्टूबर 2020 को कोविड-19 कोरोना संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुए 151वीं राष्ट्रपिता महात्मागांधी जयन्ती 2 अक्टूबर के अवसर पर कलेक्ट्रेट के प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव व विकास भवन के सभागार में मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक गोयल ने गांधी जी के चित्र का आनवरण व चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किये। इस मौके जिलाधिकारी सहित अपरजिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व प्रेम प्रकाश उपाध्याय, ए0डी सूचना प्रमोद कुमार, एसओसी शिशिर कुमार त्रिपाठी, सीटीओ जीतेन्द्र कुमार सिंह, महेश त्रिपाठी आदि अधिकारियों व कर्मचारियों ने गांधीजी व लालबहादुर शास्त्री के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। विचार व्यक्त करते हुए जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने कहा कि महात्मागांधी दृढ़ व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। असल में वह एक उत्तम आत्मा के स्वामी थे। वह साधारण कपडे़ पहनते थे एवं सादा भोजन करते थे। वह केवल शब्दों पर नहीं बल्कि कार्य करने में विश्वास रखते थे। जिसका वह उपदेश देते थे उन बातों का अनुसरण भी करते थे। सादा जीवन व उच्च विचार अपनाकर आगे बढ़ें। विभिन्न समस्याओं के संदर्भ में उनका अभिगम अहिंसक था। वह धर्मभीरू थे तथा सभी के आंखों के तारे थे। उन्हें हर प्रकार के जातिवाद से नफरत थी। गांधी जी का जीवन दर्शन, समग्रता और समता का जीवन दर्शन है जिसे अपने जीवन में दृढ़ इच्छा शक्ति और संकल्प के साथ आसानी से उतारा जा सकता है। गांधी जी ने सत्य अहिंसा का नारा ही नहीं दिया बल्कि उस पर अमल भी किया। स्वच्छ भारत मिशन के तहत ओडीएफ की प्रेरणा गांधी जी का ही विचार है वे मलिन बस्तियों में जाते थे और साफ-सफाई स्वयं करते थे जिसे सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के रूप में अपना रही है। गांधी जी का विचार और दर्शन भूतकाल, वर्तमान व भविष्यकाल तीनों में ही प्रासांगिक है। राष्ट्रपिता महात्मागांधी की तरह दुबले पतले शरीर की भांति लालबहादुर शास्त्री का भी शरीर दुबला पतला था अतः यह सर्वविधि थे कि किसी भी अच्छे दर्शन विचार व महानता में रंग, रूप व आकार कोई मायने नही रखता है। जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव की भांति अपर जिलाधिकारी वि0रा0 प्रेम प्रकाश उपाध्याय एसओसी शिशिर कुमार त्रिपाठी, सीटीओ जीतेन्द्र कुमार, प्र0आ0 मंजू दीक्षित सहित अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भी गांधी जी और लालबहादुर शास्त्री के दर्शन, विचार को विस्तार से बताया और कहा गांधी जी का ‘सादा जीवन उच्च विचार’ का सिद्धान्त आज के दौर में ज्यादा प्रासांगिक है। गांधी जी ने स्वतन्त्रता आंदोलन को जनआंदोलन बनाया। वर्तमान भौतिकतावादी दौर, पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते माहौल में भारतीय संस्कृति व सभ्यता की रक्षा करना जरूरी है। इसके लिए महात्मा गांधी जी का जीवन दर्शन देशवासियों के लिए आज और भी ज्यादा प्रासांगिक हो गया है। उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री जी के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि गांधी जी की भांति लालबहादुर शास्त्री जी भी सादगी के प्रतीक थे। दोनों ही महापुरूषांे ने सादा जीवन उच्च विचार की विचारधारा को जीवन भर अपनाया तथा देश व समाज को उन्नति व विकास के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। जिलाधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने विकसित व समृद्ध भारत की कल्पना की थी जिसको पूरा करने की दिशा में वर्तमान प्रदेश व केन्द्र सरकार ने अनेकांे लाभपरक योजनाएं व कार्यक्रम संचालित कर रखे हैं ताकि ग्रामीण परिवेश में निवास करने वाली जनता भी पूरी तरह से समृद्धि व खुशहाली की जिन्दगी गुजार सके। देश की दिशा और दशा को गांधी दर्शन के माध्यम से अधिक ऊॅंचाइयों का तक पहुंचाया जा सकता गांधी जी के भीतर देश प्रेम, मातृभूमि प्रेम, आत्म सम्मान, आत्म विश्वास, भावनात्मक एकता, राष्ट्रीय एकता और अखण्डता, अहिंसा, सहिष्णुता, भाईचारा, प्रेम का जज़्बा कूट कूट कर भरा था। अमन के पुजारी के रूप में पूरे विश्व के लिए शांतिदूत थे। उन्होने कहा कि गांधी जी की विचारधारा और दर्शन को जानें और उसे महत्व दें तथा उनके आदर्श, मूल्यों को भी याद करें व संकल्प लें। इस अवसर पर कलेक्ट्रेट के कई वरिष्ठ अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने गांधी जी तथा लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनके जीवन शैली एवं आदर्शो पर अपने विचार व्यक्त किये। इस मौके पर रघुपति राघव राजा राम, वैष्णव जन तो............इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो ना.........आदि सहित कई भजनों को प्रस्तुत कर उपस्थित जनों ने सुना और मन को मोह लिया। इस मौके पर पुलिस आफिस में पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार, विकास भवन में मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक गोयल व बीएसए अधिकारी आनन्द कुमार शर्मा ने भी अपने कार्यालय में गांधी जयंती मनायी। उन्होंने कहा कि कोविड-19 कोरोना के संक्रमण को रोकने व उसकी चैन तोड़ने में हमे स्वास्थ्य प्रोटोकाल का पालन व मास्क का प्रयोग करना अति आवश्यक है तथा साफ-सफाई व स्वच्छता पर विशेष ध्यान देकर हम कई बीमारियों से बचे सकते है। कार्यक्रम का कुशल संचालन रामेन्द्र मिश्रा व महेश त्रिपाठी द्वारा किया गया। इस मौके पर कलेक्ट्रेट में डीएम सहित कई अधिकारियों ने आम सहित कई फलदार व छायादार वृक्षों का रोपण भी किया गया। कृत्य:नायाब टाइम्स


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यौमे पैदाइश की मुबारकबाद आरिज़: *"यौमे पैदाइश"1,अक्टूबर 2020 के मौके पर आरिज़ अली को तहेदिल से मुबारकबाद* रायबरेली,आज हमारे पौत्र आरिज़ अली पुत्र नौशाद अली के योमे पैदाइश का दिन 1अक्टूबर 2020 है । जिसकी खुशी में उसे तहेदिल से *मुबारकबाद* "हैप्पी बर्थडे" आरिज़ अली । दोस्तो आप सब गुजरीस है के आप उसको अपनी दुवाओ से भी नवाज़े। *हैप्पी बर्थडे* आरिज़ अली....!🎂💐 नायाब अली लखनवी सम्पादक "नायाब टाइम्स" *अस्लामु अलैकुम/शुभप्रभात* हैप्पी गुरुवार
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हैप्पी बर्थडे राधा विष्ट जी: *यौमे पैदाइश की पुरखुलूस मुबारकबाद राधा विष्ट साहेबा को जो "कोरोना वाररिर्स" महामारी के माहौल में जनता की सेवा में सदैव हैं* लखनऊ, *यौमे पैदाइश की पुरजोर मुबारकबाद* राधा बिष्ट डॉ० "फार्मेसिस्ट" प्रभारी राजकीय होम्योपैथी चिकित्सालय (सदर) कैनाल भवन परिसर कैण्ट रोड लखनऊ को हमारी रब से दुआ है कि वो सदैव इस जहांन में लम्बी आयु के साथ सपरिवार स्वस्थ रहे। जो कोरोना वाररिर्स महामारी के माहौल में जनता की सेवा में रहा करती हैं और कोविड-19 से बचाव की दवाओ के साथ साथ कुछ क्षेत्रीय जटिल रोगों की भी दवाओं को परेशान जनता को साथ साथ पर्वत सन्देश के मोहन चन्द्र जोशी "सम्पादक" जानकी पुरम लखनऊ (उ०प्र०) निवासी दवाए प्राप्त करते हुए उनके साथ मनोज कुमार हैं । राधा बिष्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि चिकित्सालय में आनेवाले मरीज़ो को सदैव उनकी समस्या का निराकरण कर उन्हें उचित परामर्श एवं अनुभव के आधार पर दवाए उपलब्ध चिकित्सालय में कराती हैं "हैप्पी बर्थडे राधा विष्ट" जी । कृत्य:नायाब टाइम्स
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प०राम प्रसाद बिस्मिल जी हज़रो नमन: *“सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है” : कब और कैसे लिखा राम प्रसाद बिस्मिल ने यह गीत!* राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ का नाम कौन नहीं जानता। बिस्मिल, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें 30 वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षडयंत्र व काकोरी-कांड जैसी कई घटनाओं मे शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। भारत की आजादी की नींव रखने वाले राम प्रसाद जितने वीर, स्वतंत्रता सेनानी थे उतने ही भावुक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू उपनाम था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है ‘गहरी चोट खाया हुआ व्यक्ति’। बिस्मिल के अलावा वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। *राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ की तरह अशफ़ाक उल्ला खाँ भी बहुत अच्छे शायर थे। एक रोज का वाकया है अशफ़ाक, आर्य समाज मन्दिर शाहजहाँपुर में बिस्मिल के पास किसी काम से गये। संयोग से उस समय अशफ़ाक जिगर मुरादाबादी की यह गजल गुनगुना रहे थे* “कौन जाने ये तमन्ना इश्क की मंजिल में है। जो तमन्ना दिल से निकली फिर जो देखा दिल में है।।” बिस्मिल यह शेर सुनकर मुस्करा दिये तो अशफ़ाक ने पूछ ही लिया- “क्यों राम भाई! मैंने मिसरा कुछ गलत कह दिया क्या?” इस पर बिस्मिल ने जबाब दिया- “नहीं मेरे कृष्ण कन्हैया! यह बात नहीं। मैं जिगर साहब की बहुत इज्जत करता हूँ मगर उन्होंने मिर्ज़ा गालिब की पुरानी जमीन पर घिसा पिटा शेर कहकर कौन-सा बड़ा तीर मार लिया। कोई नयी रंगत देते तो मैं भी इरशाद कहता।” अशफ़ाक को बिस्मिल की यह बात जँची नहीं; उन्होंने चुनौती भरे लहजे में कहा- “तो राम भाई! अब आप ही इसमें गिरह लगाइये, मैं मान जाऊँगा आपकी सोच जिगर और मिर्ज़ा गालिब से भी परले दर्जे की है।” *उसी वक्त पंडित राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ ने यह शेर कहा* “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। देखना है जोर कितना बाजु-कातिल में है?” यह सुनते ही अशफ़ाक उछल पड़े और बिस्मिल को गले लगा के बोले- “राम भाई! मान गये; आप तो उस्तादों के भी उस्ताद हैं।” आगे जाकर बिस्मिल की यह गज़ल सभी क्रान्तिकारी जेल से पुलिस की गाड़ी में अदालत जाते हुए, अदालत में मजिस्ट्रेट को चिढ़ाते हुए और अदालत से लौटकर वापस जेल आते हुए एक साथ गाया करते थे। बिस्मिल की शहादत के बाद उनका यह गीत क्रान्तिकारियों के लिए मंत्र बन गया था। न जाने कितने क्रांतिकारी इसे गाते हुए हँसते-हँसते फांसी पर चढ़ गए थे। पढ़िए राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा लिखा गया देशभक्ति से ओतप्रोत यह गीत – सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है? वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आस्माँ! हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है? एक से करता नहीं क्यों दूसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है। रहबरे-राहे-मुहब्बत! रह न जाना राह में, लज्जते-सेहरा-नवर्दी दूरि-ए-मंजिल में है। अब न अगले वल्वले हैं और न अरमानों की भीड़, एक मिट जाने की हसरत अब दिले-‘बिस्मिल’ में है । ए शहीद-ए-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफ़िल में है। खींच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद, आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है। सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है? है लिये हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर, और हम तैयार हैं सीना लिये अपना इधर। खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। हाथ जिनमें हो जुनूँ , कटते नही तलवार से, सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से, और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है , सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। हम तो निकले ही थे घर से बाँधकर सर पे कफ़न, जाँ हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम। जिन्दगी तो अपनी महमाँ मौत की महफ़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। यूँ खड़ा मकतल में कातिल कह रहा है बार-बार, “क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?” सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है? दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब, होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज। दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है! सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। जिस्म वो क्या जिस्म है जिसमें न हो खूने-जुनूँ, क्या वो तूफाँ से लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है। सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है। पं० राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ उनके इस लोकप्रिय गीत के अलावा ग्यारह वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में बिस्मिल ने कई पुस्तकें भी लिखीं। जिनमें से ग्यारह पुस्तकें ही उनके जीवन काल में प्रकाशित हो सकीं। ब्रिटिश राज में उन सभी पुस्तकों को ज़ब्त कर लिया गया था। पर स्वतंत्र भारत में काफी खोज-बीन के पश्चात् उनकी लिखी हुई प्रामाणिक पुस्तकें इस समय पुस्तकालयों में उपलब्ध हैं। 16 दिसम्बर 1927 को बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा का आखिरी अध्याय (अन्तिम समय की बातें) पूर्ण करके जेल से बाहर भिजवा दिया। 18 दिसम्बर 1927 को माता-पिता से अन्तिम मुलाकात की और सोमवार 19 दिसम्बर 1927 को सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर गोरखपुर की जिला जेल में उन्हें फाँसी दे दी गयी। राम प्रसाद बिस्मिल और उनके जैसे लाखो क्रांतिकारियों के बलिदान का देश सद्येव ऋणी रहेगा! जय हिन्द !
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मुत्यु लोक का सच:*आचार्य रजनीश* (१) जब मेरी मृत्यु होगी तो आप मेरे रिश्तेदारों से मिलने आएंगे और मुझे पता भी नहीं चलेगा, तो अभी आ जाओ ना मुझ से मिलने। (२) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आप मेरे सारे गुनाह माफ कर देंगे, जिसका मुझे पता भी नहीं चलेगा, तो आज ही माफ कर दो ना। (३) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आप मेरी कद्र करेंगे और मेरे बारे में अच्छी बातें कहेंगे, जिसे मैं नहीं सुन सकूँगा, तो अभी कहे दो ना। (४) जब मेरी मृत्यु होगी, तो आपको लगेगा कि इस इन्सान के साथ और वक़्त बिताया होता तो अच्छा होता, तो आज ही आओ ना। इसीलिए कहता हूं कि इन्तजार मत करो, इन्तजार करने में कभी कभी बहुत देर हो जाती है। इस लिये मिलते रहो, माफ कर दो, या माफी माँग लो। *मन "ख्वाईशों" मे अटका रहा* *और* *जिन्दगी हमें "जी "कर चली गई.*
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गुरुनानक देव जयन्ती बधाई: मृत्यु लोक के सभी जीव जंतु पशु पक्षी प्राणियों को स्वस्थ शरीर एवं लम्बी उम्र दे खुदा आज के दिन की *💐🌹*गुरु नानक जयन्ती पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं/लख लख मुबारक।*💐🌹 * हो.. रब से ये दुआ है कि आपके परिवार में खुशियां ही खुशियाँ हो आमीन..! अपने अंदाज में मस्ती से रहा करता हूँ वो साथ हमारे हैं जो कुछ दूर चला करते हैं । हम आज है संजीदा बेग़म साहेबा के साथ.....! *अस्लामु अलैकुम/शुभप्रभात* हैप्पी सोमवार
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