जिला मजिस्ट्रेट ने किया विभाग का अचानक निरीक्षण: *जिला मजिस्ट्रेट ने विकास भवन स्थित कार्यालयों सहित बीएसए कार्यालय का किया औचक निरीक्षण,93 अधिकारी/कर्मचारी मिले अनुपस्थित-डीएम ने 12 अधिकारियो सहित 81 कर्मचारियों को रोका वेतन, सीडीओं को स्पष्टीकरण प्राप्त कर आख्या देने के दिये निर्देश* रायबरेली ,जिला प्रशासन ने दिनाँक,26 नवम्बर 2020 को शासन के निर्देशानुसार जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने प्रातः 10 से 10ः30 बजे के मध्य विकास भवन स्थित मुख्य विकास अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, जिला युवा कल्याण अधिकारी, जिला सहायक नि.बंधक सहकारी समिति, वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा, समाज कल्याण अधिकारी, अपर जिला विकास अधिकारी (समाज कल्याण), बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय सहित 16 कार्यालयों को औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कुल 93 में से 12 अधिकारी व 81 कर्मचारी की कार्यालयों में अनुपस्थिति पाये जाने पर जिलाधिकारी ने गम्भीरता से लेते हुए सभी अनुपस्थित अधिकारियो/कर्मचारियों को 1 दिन का वेतन रोकते हुए मुख्य विकास अधिकारी को निर्देश दिये कि सम्बन्धित अनुपस्थित अधिकारियो/कर्मचारियों का स्पष्टीकरण लेकर आख्या उपलब्ध कराये। जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने जिला ग्राम्य विकास अभिकरण कार्यालय के निरीक्षण के दौरान पीडी पे्रम चन्द्र पटेल, लेखाकार जयचन्द्र, रविशंकर बाजपेयी, राम लखन, जुगुल किशोर, तकनीकी अन्वेषक जयपाल सिंह, कनिष्ठ लेखा लिपिक प्रेम चन्द्र शुक्ला, कनिष्ठ लिपिक हंस कुमार आय, वाहन चालक रियाज अहमद, पत्रवाहक सुधा सिंह, कनिष्ठ लिपिक शिवेन्द्र त्रिपाठी, अशोक शुक्ला, शिवशंकर सिंह वाहन चालक व चतुर्थ श्रेणी राम शरण, शिव मोहन सहित मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय के आशुलिपिक सुशील कुमार व मनीष सोनी, वरिष्ठ लिपिक जफर अब्बास जैदी, चपरासी विपिन चन्द्र शर्मा अनुपस्थित पाये गये। इसी प्रकार जिला विकास कार्यालय में जिला विकास अधिकारी, लेखाकार बाल कृष्ण यादव, बंश गोपाल चैधरी, प्रेम नाथ श्रीवास्तव, प्रधान सहायक मधु वर्मा, यू0के0 तिवारी, गुफरानुल हक फारूकी, वरष्ठि सहायक जेबा सलमान, सुमन सिंह, रश्मि श्रीवास्तव, सुनील कुमार गुप्ता, नवनीत श्रीवास्तव, सोमिल श्रीवास्तव, उर्दू अनुवादक/प्रधान सहायक अशरफ जहां, दफ्तरी मो0 शरीफ, पत्रवाहक अहोरे लाल अनुपस्थित, मनरेगा सेल के (डीआरडीए) में डीसी मनरेगा पवन कुमार सिंह, वरिष्ठ सहायक अरविन्द कुमार, प्रधान सहायक सुबूहीजुल करनैन, फरहाना, सीओ मनरेगा अविजित कुमार व सहायक लेखाकार इन्द्रेश कुमार अनुपस्थित पाये गये। जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) कार्यालय में निरीक्षण पर पीओ डूडा मुनेन्द्र सिंह, सीएमएम नेहा श्रीवास्तव, सीएलटीसी उत्कर्ष शुक्ला, सीओ कुलदीप सिंह, शालिनी मिश्रा व आकांक्षा सिंह अनुपस्थित, जिला कृषि अधिकारी कार्यालय में सहायक लेखाकार कु0 रितु सिंह गौतम, प्रधान सहायक निशात अंजुम व मो0 कसीम, चपरासी सत्य प्रकाश अनुपस्थित, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी कार्यालय में डीएसटीओ अरविन्द कुमार वर्मा, रेखा शुक्ला, अ0स0अ0 शिल्पी तिवारी व गणेश कुमार गुप्ता व जीप चालक राम खेलावन अनुपस्थित पाये गये। सहायक अभियन्ता लघु सिंचाई कार्यालय में सहायक अभियन्ता ब्रजेश कुमार सिंह, अरविन्द कुमार, कनिष्ठ सहायक पवन कुमार, अमीन राम सेवक, चपरासी रविशंकर मिश्रा, सुरेन्द्र बहादुर सिंह व बलबीर सिंह पिछड़ा वर्ग कार्यालय के पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी व वरिष्ठ सहायक भाष्कर उपाध्याय, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के कनिष्ठ सहायक आशीष सिंह, चपरासी महेश कुमार व ईएमआईएस अनूप कुमार अनुपस्थित पाये गये। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कार्यालय के वरिष्ठ सहायक राकेश मिश्रा, कनिष्ठ सहायक अनुज कुमार सिंह, संगणक जमीरूलस्लाम, जिला युवा कल्याण अधिकारी कार्यालय के जिला युवा कल्याण अधिकारी व प्रधान लिपिक आशुतोष उपाध्याय अनपुस्थित पाये गये। जिला सहायक निबंधक सहकारी समिति के जिला सहायक निबधंक, स0नि0 वर्ग-2 मनोरमा पाण्डेय व संतोष सिंह यादव, उर्दू अनुवाक जावेद अख्तर, वरिष्ठ सहायक राम बहादुर यादव, सह0कृ0पर्य0 एस0 श्रीवास्तव, कनिष्ठ सहायक कुलसुम अख्तर, सहयोगी सुरेश कुमार, भैरोदीन, का0आ0 धमेन्द्र अनुपस्थित मिले। जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय के सहायक लेखाकार आनन्द कुमार पाण्डेय व चपरासी अनिल कुमार, अपर जिला विकास अधिकारी (समाज कल्याण) कार्यालय की ए0डी0डी0ओ सुनीता देवी व सहायक लेखाकार जितेन्द्र कुमार त्रिपाठी सहित वित्त एवं लेखाधिकारी, बेसिक शिक्षा की वित्त एवं लेखाधिकारी सीमा पाण्डेय, वरिष्ठ सम्प्रेक्षक चन्द्रदीप सिंह, अब्दुल क्यूम, टंकक उदय राज मिश्रा, कनिष्ठ सहायक अनुज कुमार श्रीवास्तव व अनुचर राजेश कुमार अनुपस्थित पाये गये। इस मौके पर योग्य कर्मठ उपनिदेशक सूचना प्रमोद कुमार उपस्थित थे। कृत्य:नायाब टाइम्स
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हैप्पी बर्थडे राधा विष्ट जी: *यौमे पैदाइश की पुरखुलूस मुबारकबाद राधा विष्ट साहेबा को जो "कोरोना वाररिर्स" महामारी के माहौल में जनता की सेवा में सदैव हैं* लखनऊ, *यौमे पैदाइश की पुरजोर मुबारकबाद* राधा बिष्ट डॉ० "फार्मेसिस्ट" प्रभारी राजकीय होम्योपैथी चिकित्सालय (सदर) कैनाल भवन परिसर कैण्ट रोड लखनऊ को हमारी रब से दुआ है कि वो सदैव इस जहांन में लम्बी आयु के साथ सपरिवार स्वस्थ रहे। जो कोरोना वाररिर्स महामारी के माहौल में जनता की सेवा में रहा करती हैं और कोविड-19 से बचाव की दवाओ के साथ साथ कुछ क्षेत्रीय जटिल रोगों की भी दवाओं को परेशान जनता को साथ साथ पर्वत सन्देश के मोहन चन्द्र जोशी "सम्पादक" जानकी पुरम लखनऊ (उ०प्र०) निवासी दवाए प्राप्त करते हुए उनके साथ मनोज कुमार हैं । राधा बिष्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि चिकित्सालय में आनेवाले मरीज़ो को सदैव उनकी समस्या का निराकरण कर उन्हें उचित परामर्श एवं अनुभव के आधार पर दवाए उपलब्ध चिकित्सालय में कराती हैं "हैप्पी बर्थडे राधा विष्ट" जी । कृत्य:नायाब टाइम्स
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प०राम प्रसाद बिस्मिल जी हज़रो नमन: *“सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है” : कब और कैसे लिखा राम प्रसाद बिस्मिल ने यह गीत!* राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ का नाम कौन नहीं जानता। बिस्मिल, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें 30 वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षडयंत्र व काकोरी-कांड जैसी कई घटनाओं मे शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। भारत की आजादी की नींव रखने वाले राम प्रसाद जितने वीर, स्वतंत्रता सेनानी थे उतने ही भावुक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू उपनाम था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है ‘गहरी चोट खाया हुआ व्यक्ति’। बिस्मिल के अलावा वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। *राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ की तरह अशफ़ाक उल्ला खाँ भी बहुत अच्छे शायर थे। एक रोज का वाकया है अशफ़ाक, आर्य समाज मन्दिर शाहजहाँपुर में बिस्मिल के पास किसी काम से गये। संयोग से उस समय अशफ़ाक जिगर मुरादाबादी की यह गजल गुनगुना रहे थे* “कौन जाने ये तमन्ना इश्क की मंजिल में है। जो तमन्ना दिल से निकली फिर जो देखा दिल में है।।” बिस्मिल यह शेर सुनकर मुस्करा दिये तो अशफ़ाक ने पूछ ही लिया- “क्यों राम भाई! मैंने मिसरा कुछ गलत कह दिया क्या?” इस पर बिस्मिल ने जबाब दिया- “नहीं मेरे कृष्ण कन्हैया! यह बात नहीं। मैं जिगर साहब की बहुत इज्जत करता हूँ मगर उन्होंने मिर्ज़ा गालिब की पुरानी जमीन पर घिसा पिटा शेर कहकर कौन-सा बड़ा तीर मार लिया। कोई नयी रंगत देते तो मैं भी इरशाद कहता।” अशफ़ाक को बिस्मिल की यह बात जँची नहीं; उन्होंने चुनौती भरे लहजे में कहा- “तो राम भाई! अब आप ही इसमें गिरह लगाइये, मैं मान जाऊँगा आपकी सोच जिगर और मिर्ज़ा गालिब से भी परले दर्जे की है।” *उसी वक्त पंडित राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ ने यह शेर कहा* “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। देखना है जोर कितना बाजु-कातिल में है?” यह सुनते ही अशफ़ाक उछल पड़े और बिस्मिल को गले लगा के बोले- “राम भाई! मान गये; आप तो उस्तादों के भी उस्ताद हैं।” आगे जाकर बिस्मिल की यह गज़ल सभी क्रान्तिकारी जेल से पुलिस की गाड़ी में अदालत जाते हुए, अदालत में मजिस्ट्रेट को चिढ़ाते हुए और अदालत से लौटकर वापस जेल आते हुए एक साथ गाया करते थे। बिस्मिल की शहादत के बाद उनका यह गीत क्रान्तिकारियों के लिए मंत्र बन गया था। न जाने कितने क्रांतिकारी इसे गाते हुए हँसते-हँसते फांसी पर चढ़ गए थे। पढ़िए राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा लिखा गया देशभक्ति से ओतप्रोत यह गीत – सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है? वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आस्माँ! हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है? एक से करता नहीं क्यों दूसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है। रहबरे-राहे-मुहब्बत! रह न जाना राह में, लज्जते-सेहरा-नवर्दी दूरि-ए-मंजिल में है। अब न अगले वल्वले हैं और न अरमानों की भीड़, एक मिट जाने की हसरत अब दिले-‘बिस्मिल’ में है । ए शहीद-ए-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफ़िल में है। खींच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद, आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है। सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है? है लिये हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर, और हम तैयार हैं सीना लिये अपना इधर। खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। हाथ जिनमें हो जुनूँ , कटते नही तलवार से, सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से, और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है , सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। हम तो निकले ही थे घर से बाँधकर सर पे कफ़न, जाँ हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम। जिन्दगी तो अपनी महमाँ मौत की महफ़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। यूँ खड़ा मकतल में कातिल कह रहा है बार-बार, “क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?” सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है? दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब, होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज। दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है! सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। जिस्म वो क्या जिस्म है जिसमें न हो खूने-जुनूँ, क्या वो तूफाँ से लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है। सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है। पं० राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ उनके इस लोकप्रिय गीत के अलावा ग्यारह वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में बिस्मिल ने कई पुस्तकें भी लिखीं। जिनमें से ग्यारह पुस्तकें ही उनके जीवन काल में प्रकाशित हो सकीं। ब्रिटिश राज में उन सभी पुस्तकों को ज़ब्त कर लिया गया था। पर स्वतंत्र भारत में काफी खोज-बीन के पश्चात् उनकी लिखी हुई प्रामाणिक पुस्तकें इस समय पुस्तकालयों में उपलब्ध हैं। 16 दिसम्बर 1927 को बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा का आखिरी अध्याय (अन्तिम समय की बातें) पूर्ण करके जेल से बाहर भिजवा दिया। 18 दिसम्बर 1927 को माता-पिता से अन्तिम मुलाकात की और सोमवार 19 दिसम्बर 1927 को सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर गोरखपुर की जिला जेल में उन्हें फाँसी दे दी गयी। राम प्रसाद बिस्मिल और उनके जैसे लाखो क्रांतिकारियों के बलिदान का देश सद्येव ऋणी रहेगा! जय हिन्द !
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स्पोर्ट्समैन जाफ़र के सम्मान में क्रिकेट मैच: *जाफ़र मेहदी वरिष्ठ केन्द्र प्रभारी कैसरबाग डिपो कल 30 नवम्बर 2020 सोमवार को सेवानिवृत्त हो जाएगे उनके सम्मान में क्रिकेट मैच परिवहन निगम ने आयोजित किया* लखनऊ, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के स्पोर्ट्समैन जाफ़र मेहंदी जो 30 नवम्बर 2020 को सेवानिवृत्त हो जाएंगे को "मुख्य महाप्रबंधक प्रशासन" सन्तोष कुमार दूबे "वरि०पी०सी०एस०" द्वारा उनके सम्मान में क्रिकेट मैच आयोजित कर उनका सम्मान किया जायेगा , जिसमें एहम किरदार पी०आर०बेलवारिया "मुख्य महाप्रबंधक "संचालन" व पल्लव बोस क्षेत्रीय प्रबन्धक-लखनऊ एवं प्रशांत दीक्षित "प्रभारी स०क्षे०प्रबन्धक" हैं जो * अवध बस स्टेशन कमता लखनऊ* के पद पर तैनात हैं , इस समय *कैसरबाग डिपो* के भी "प्रभारी स०क्षे०प्र०" हैं। कैसरबाग डिपो के वरिष्ठ केन्द्र प्रभारी जाफ़र मेहदी साहब दिनाँक,30 नवम्बर 2020 को कल सेवानिवृत्त हो जायेगे। जाफ़र मेहदी साहब की भर्ती स्पोर्ट्स कोटा के तहत 1987 में परिवहन निगम में हुई थी। जो पछले तीन सालो से दो धारी तलवार के चपेट कि मार झेल रहे थे अब आज़ादी उनके हाथ लगी मेंहदी साहब नायाब ही नहीं तारीफे काबिल हैं उनकी जितनी भी बड़ाई की जाय कम हैl कृत्य:नायाब टाइम्स
• नायाब अली
*--1918 में पहली बार इस्तेमाल हुआ ''हिन्दू'' शब्द !--* *तुलसीदास(1511ई०-1623ई०)(सम्वत 1568वि०-1680वि०)ने रामचरित मानस मुगलकाल में लिखी,पर मुगलों की बुराई में एक भी चौपाई नहीं लिखी क्यों ?* *क्या उस समय हिन्दू मुसलमान का मामला नहीं था ?* *हाँ,उस समय हिंदू मुसलमान का मामला नहीं था क्योंकि उस समय हिन्दू नाम का कोई धर्म ही नहीं था।* *तो फिर उस समय कौनसा धर्म था ?* *उस समय ब्राह्मण धर्म था और ब्राह्मण मुगलों के साथ मिलजुल कर रहते थे,यहाँ तक कि आपस में रिश्तेदार बनकर भारत पर राज कर रहे थे,उस समय वर्ण व्यवस्था थी।तब कोई हिन्दू के नाम से नहीं जाति के नाम से पहचाना जाता था।वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य से नीचे शूद्र था सभी अधिकार से वंचित,जिसका कार्य सिर्फ सेवा करना था,मतलब सीधे शब्दों में गुलाम था।* *तो फिर हिन्दू नाम का धर्म कब से आया ?* *ब्राह्मण धर्म का नया नाम हिन्दू तब आया जब वयस्क मताधिकार का मामला आया,जब इंग्लैंड में वयस्क मताधिकार का कानून लागू हुआ और इसको भारत में भी लागू करने की बात हुई।* *इसी पर ब्राह्मण तिलक बोला था,"क्या ये तेली, तम्बोली,कुणभठ संसद में जाकर हल चलायेंगे,तेल बेचेंगे ? इसलिए स्वराज इनका नहीं मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है यानि ब्राह्मणों का। हिन्दू शब्द का प्रयोग पहली बार 1918 में इस्तेमाल किया गया।* *तो ब्राह्मण धर्म खतरे में क्यों पड़ा ?* *क्योंकि भारत में उस समय अँग्रेजों का राज था,वहाँ वयस्क मताधिकार लागू हुआ तो फिर भारत में तो होना ही था।* *ब्राह्मण की संख्या 3.5% हैं,अल्पसंख्यक हैं तो राज कैसे करेंगे ?* *ब्राह्मण धर्म के सारे ग्रंथ शूद्रों के विरोध में,मतलब हक-अधिकार छीनने के लिए,शूद्रों की मानसिकता बदलने के लिए षड़यंत्र का रूप दिया गया।* *आज का OBC ही ब्राह्मण धर्म का शूद्र है। SC (अनुसूचित जाति) के लोगों को तो अछूत घोषित करके वर्ण व्यवस्था से बाहर रखा गया था।* *ST (अनुसूचित जनजाति) के लोग तो जंगलों में थे उनसे ब्राह्मण धर्म को क्या खतरा ? ST को तो विदेशी आर्यों ने सिंधु घाटी सभ्यता संघर्ष के समय से ही जंगलों में जाकर रहने पर मजबूर किया उनको वनवासी कह दिया।* *ब्राह्मणों ने षड़यंत्र से हिन्दू शब्द का इस्तेमाल किया जिससे सबको को समानता का अहसास हो लेकिन ब्राह्मणों ने समाज में व्यवस्था ब्राह्मण धर्म की ही रखी।जिसमें जातियाँ हैं,ये जातियाँ ही ब्राह्मण धर्म का प्राण तत्व हैं, इनके बिना ब्राह्मण का वर्चस्व खत्म हो जायेगा।* *इसलिए तुलसीदास ने मुसलमानों के विरोध में नहीं शूद्रों के विरोध में शूद्रों को गुलाम बनाए रखने के लिए लिखा !* *"ढोल गंवार शूद्र पशु नारी।ये सब ताड़न के अधिकारी।।"* *अब जब मुगल चले गये,देश में OBC-SC के लोग ब्राह्मण धर्म के विरोध में ब्राह्मण धर्म के अन्याय अत्याचार से दुखी होकर इस्लाम अपना लिया था* *तो अब ब्राह्मण अगर मुसलमानों के विरोध में जाकर षड्यंत्र नहीं करेगा तो OBC,ST,SC के लोगों को प्रतिक्रिया से हिन्दू बनाकर,बहुसंख्यक लोगों का हिन्दू के नाम पर ध्रुवीकरण करके अल्पसंख्यक ब्राह्मण बहुसंख्यक बनकर राज कैसे करेगा ?* *52% OBC का भारत पर शासन होना चाहिये था क्योंकि OBC यहाँ पर अधिक तादात में है लेकिन यहीं वर्ग ब्राह्मण का सबसे बड़ा गुलाम भी है। यहीं इस धर्म का सुरक्षाबल बना हुआ है,यदि गलती से भी किसी ने ब्राह्मणवाद के खिलाफ आवाज़ उठाई तो यहीं OBC ब्राह्मणवाद को बचाने आ जाता है और वह आवाज़ हमेशा के लिये खामोश कर दी जाती है।* *यदि भारत में ब्राह्मण शासन व ब्राह्मण राज़ कायम है तो उसका जिम्मेदार केवल और केवल OBC है क्योंकि बिना OBC सपोर्ट के ब्राह्मण यहाँ कुछ नही कर सकता।* *OBC को यह मालूम ही नही कि उसका किस तरह ब्राह्मण उपयोग कर रहा है, साथ ही साथ ST-SC व अल्पसंख्यक लोगों में मूल इतिहास के प्रति अज्ञानता व उनके अन्दर समाया पाखण्ड अंधविश्वास भी कम जिम्मेदार नही है।* *ब्राह्मणों ने आज हिन्दू मुसलमान समस्या देश में इसलिये खड़ी की है कि तथाकथित हिन्दू (OBC,ST,SC) अपने ही धर्म परिवर्तित भाई मुसलमान,ईसाई से लड़ें,मरें क्योंकि दोनों ओर कोई भी मरे फायदा ब्राह्मणों को ही हैं।* *क्या कभी आपने सुना है कि किसी दंगे में कोई ब्राह्मण मरा हो ? जहर घोलनें वाले कभी जहर नहीं पीते हैं।*
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Khud की पहिचान : *नायाब अली लखनवी की कलम से वयां की खुद की जुबानी✍🏼✍🏼* *लखनऊ* म्रत्यु लोक पर जब मैं आया तो इतना छोटा होऊंगा मालूम न था की मेरे भी माँ बाप होंगे कि वो मुझे पौत्र असद अली,अशर अली,गौहर अली,आरिज़ अली एवं पुत्र शबाब अली, शादाब अली, नौशाद अली व पत्नी संजीदा बेगम जैसी शख्सियतों का सामना अपनी ड्यूटी के साथ इस संसार की भी सेवा कर वापस सब छोड़कर जाना ही होगा,दोस्तो वो भी खाली हाथ। *नायाब टाइम्स*
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